शीत युद्ध का चरम बिंदु क्या था
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द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के काल में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति को शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है। कुछ इतिहासकारों द्वारा इसे 'शस्त्र सज्जित शान्ति' का नाम भी दिया गया है। ... सन् 1991 में सोवियत रूस के विघटन से उसकी शक्ति कम हो गयी और शीतयुद्ध की समाप्ति हो गयी।
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शीत युद्ध का चरम बिंदु क्या था ?
शीत युद्ध का चरम बिंदु क्यूबा का मिसाइल संकट था।
व्याख्या :
शीत युद्ध का चरम बिंदु क्यूबा का मिसाइल संकट था। जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच साठ के दशक में शीत युद्ध चल रहा था, तब 1962 में यह शीत युद्ध अपने चरम स्तर पर पहुंच गया था। इस दौरान सोवियत संघ और क्यूबा में आपसी सांठगांठ हो गई। सोवियत संघ में चोरी छुपे क्यूबा में अपनी मिसाइलें तैनात कर दीं, जिनका लक्ष्य अमेरिका था। इससे अमेरिका सीधे सोवियत संघ के हमले के निशाने पर आ गया था और दोनों देशों में गहरा तनाव उत्पन्न हो गया। ऐसा लग रहा था कि दोनों महाशक्तियों में युद्ध होकर ही रहेगा। यही शीतयुद्ध का चरम बिंदु था।
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