शीत युद्ध के समय सैनिक गठबंधन होने विश्व राजनीति पर क्या प्रभाव डाला है
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Answer:
सैनिक संधियों व सैनिक गठबंधन का बाहुल्य -
शीतयद्धु ने विश्व में सैि नक सन्धियों एवं सैनिक गठबन्धनों को जन्म दिया। नाटो, सीटो, सैण्टो तथा वार्सा पैकट जैसे गठबन्धनों का प्रादुर्भाव, शीत युद्ध का ही परिणाम था। इसके कारण शीत युद्ध में उग्रता आयी, उन्होंने नि:शस्त्रीकरण की समस्या को और अधिक जटिल बना दिया। वस्ततु : इन सैनिक संगठनो ने प्रत्येक राज्य को द्वितीय विश्व-यद्धु के बाद ‘निरन्तर युद्ध की स्थिति’ में रख दिया।
Explanation:
शीत युद्ध के प्रभाव
विश्व का दाे गुटो में विभाजित होना -
शीत युद्ध के परिणामस्वरूप, विश्व दाे गुटो में विभाजित हो गया था। एक गुट पूंजीवादी देशों का था, जिसका नेतृत्व अमेरिका करता था, दूसरा गुट समाजवादियों का था जिसका नेतृत्व सोवियत संघ करता था। अब विश्व की समस्याओं को इसी गुटबन्दी के आधार पर देखा जाने लगा था। इसी कारण अनेक अन्तर्राष्ट्रीय समस्याएं उलझी पड़ी थी। द्वितीय महायुद्ध के बाद विकसित, द्वि-ध्रुवीय राजनीति के परिणामस्वरूप, इन गुटो में शामिल राष्ट्रों को अपनी स्वतंत्रता के साथ समझौता करना पड़ा। रूमानिया, बुलगारिया जैसे राष्ट्रों को सोवियत दृष्टिकोण से सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा और फ्रांस व ब्रिटेन को अमेरिका नजरिये से दुनिया देखने को विवश होना पड़ा। शीत युद्ध की बदौलत अपनी द्विगुटीय विश्व राजनीति ने मध्यम मार्ग की गुजाइश को समाप्त कर दिया और इस भावना को जन्म दिया कि, जो हमारे साथ नहीं, वह हमारा शत्रु है।