शीत युद्ध महा शक्तियों के बीच विचारधाराओं को लेकर एक युद्ध था सत्य है या असत्य
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सत्य✅
शीतयुद्ध की उत्पत्ति
शीतयुद्ध की उत्पत्तिशीतयुद्ध के लक्षण द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही प्रकट होने लगे थे। दोनों महाशक्तियां अपने-अपने संकीर्ण स्वार्थों को ही ध्यान में रखकर युद्ध लड़ रही थी और परस्पर सहयोग की भावना का दिखावा कर रही थी। जो सहयोग की भावना युद्ध के दौरान दिखाई दे रही थी, वह युद्ध के बाद समाप्त होने लगी थी और शीतयुद्ध के लक्षण स्पष्ट तौर पर उभरने लग गए थे, दोनों गुटों में ही एक दूसरे की शिकायत करने की भावना बलवती हो गई थी। इन शिकायतों के कुछ सुदृढ़ आधार थे। ये पारस्परिक मतभेद ही शीतयुद्ध के प्रमुख कारण थे, शीतयुद्ध की उत्पत्ति के प्रमुख कारण हैं-
➜सोवियत संघ और अमेरिका के वैचारिक मतभेद- युद्ध के समय ही इन दोनों महाशक्तियों में वैचारिक मतभेद उभरने लगे थे। सोवियत संघ साम्राज्यवाद को बढ़ावा देना चाहता था जबकि अमेरिका पूंजीवाद का प्रबल समर्थक था, सोवियत संघ ने समाजवादी आन्दोलनों को बढ़ावा देने की जो नीति अपनाई उसने अमेरिका के मन में अविश्वास की भावना को जन्म दे दिया। सोवियत संघ ने अपनी इस नीति को न्यायपूर्ण और आवश्यक बताया। इससे पूंजीवाद को गहरा आघात पहुंचाया और अनेक पूंजीवादी राष्ट्र अमेरिका के पक्ष में होकर सोवियत संघ की समाजवादी नीतियों की निंदा करने लगे। इस प्रकार पूंजीवाद बनाम समाजवादी विचारधारा में तालमेल के अभाव के कारण दोनों महाशक्तियों के बीच शीतयुद्ध का जन्म हुआ।
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