शीत युद्ध शब्द की व्याख्या करें और इसने 1947 के बाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कैसे प्रभावित किया
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द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के काल में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति को शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है। इन दोनों पक्षों में आपसी टकराहट आमने सामने कभी नहीं हुई, पर ये दोनों गुट इस प्रकार का वातावरण बनाते रहे कि युद्ध का खतरा सदा सामने दिखाई पड़ता रहता था।
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- शीतयुद्ध का जन्म द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद 1945 में हुआ.
- इस युद्ध का उद्देश्य अपने-अपने गुटों में मित्र राष्ट्रों को शामिल करके अपनी स्थिति मजबूत बनाना था .
- शीत युद्ध के परिणामस्वरूप, विश्व दाे गुटो में विभाजित हो गया था। एक गुट पूंजीवादी देशों का था, जिसका नेतृत्व अमेरिका करता था, दूसरा गुट समाजवादियों का था जिसका नेतृत्व सोवियत संघ करता था। अब विश्व की समस्याओं को इसी गुटबन्दी के आधार पर देखा जाने लगा था.
- आणविक अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया गया। अमेरिका ने सन् 1945 में एटम बम का पहली बार प्रयोग जापान के हिरोशिमा तथा नागासाकी पर किया.
- शीत यद्धु ने राष्ट्राें काे भयभीत किया, आतंक और अविश्वास का दायरा बढ़ाया। अमेरिका और सोवियत संघ के मतभेदों के कारण अन्र्तराष्ट्रीय संबंधों में गहरे तनाव, वैमनस्य, मनोमालिन्य, प्रतिस्पर्धा और अविश्वास की स्थिति आ गयी.
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