शादी-ब्याह अथवा पारिवारिक समारोहों में प्रीतिभोज में अनाप-शनाप खर्च करना कितना उचित' विषय
पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
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घर में शादी का जिक्र आते ही सारा परिवार कभी चहकने लगता था। बूढ़े-जवान-बच्चे, सभी शादी में अपने-अपने हिस्से की खुशी ढूंढ़ने लगते थे। छ: महीने पहले ही गेहूँ साफ होने लगते थे, दर्ज़ी दो महीने पहले घर बैठ जाता था। बहन-बुआ, महीने भर पहले पीहर बुला ली जाती थी। 15 दिन पहले नाचना-गाना शुरू हो जाता था। रिश्तेदार-मोहल्ले वाले, गली को रंगमंच बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। एक नितान्त पारिवारिक समारोह। अपनी संस्कृति में रंगा उत्सव।
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