शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है? ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के आधार पर लिखिए l
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सुधा आदर्श में किसी प्रकार का समझौता नहीं होता वह पूर्ण शुद्ध होता है इसीलिए उसे सोना कहा गया है व्यवहारिकता के नाम पर आदर्शों से समझौता किया जाता है उसमें खोट होता है अंत उसे तांता कहा गया है ।
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kyuki sudh aadarh adarhuc ke channel pr hai
Explanation:
bhot accche hote hai sudh aadarsh or vyavharikta milne pr ve or majbut ho jaate hai I
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