India Languages, asked by aishravi23681, 3 days ago

शुद्धं वाक्यम् (√) इति चिह्नेन अशुद्धं पुनः (X) इति चिह्नेन अङ्कितं कुरुत।
(i) उचिते स्थाने पात्रेभ्यः दत्तं दानं राजसं दानं भवति।
(ii) फलम् उद्दिश्य दत्तं दानं राजसं दानं भवति ।
(iii) अपात्रेभ्यः दत्तं दानं सात्त्विकं दानं भवति।
(iv) अनुपकारिणे यद् दानं दीयते, तत् सात्त्विकं दानं भवति ।

Answers

Answered by dk1789774
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Answer:

यद्यपि कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही है पर इसके अलावा उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच एवं अन्य कलाओं पर भी बखूबी लेखनी चलायी है। इसके चलते जहाँ उनके लेखन में सहज संप्रेषणीयता आई वहीं वे प्रयोगधर्मी भी बने रहे। उनकी कविताओं-कहानियों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है।

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