India Languages, asked by maahira17, 8 months ago

शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं च नैव’ इति लिखत-(शुद्ध वाक्य के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्य के सामने ‘नैव’ लिखिए-)
(क) अभिवादनशीलस्य किमपि न वर्धते।
(ख) मातापितरौ नृणां सम्भवे कष्टं सहेते।
(ग) आत्मवशं तु सर्वमेव दु:खमस्ति।
(घ) येन पितरौ आचार्यः च सन्तुष्टाः तस्य सर्वं तपः समाप्यते।
(ङ) मनुष्यः सदैव मनः पूतं समाचरेत्।।
(च) मनुष्यः सदैव तदेव कर्म कुर्यात् येनान्तरात्मा तुष्यते।

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Answered by nikitasingh79
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शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं च नैव’ इति लिखत-

(क) अभिवादनशीलस्य किमपि न वर्धते। → नैव

(ख) मातापितरौ नृणां सम्भवे कष्टं सहेते। → आम्

(ग) आत्मवशं तु सर्वमेव दु:खमस्ति। → नैव

(घ) येन पितरौ आचार्यः च सन्तुष्टाः तस्य सर्वं तपः समाप्यते। → आम्  

(ङ) मनुष्यः सदैव मनः पूतं समाचरेत्।।→ आम्  

(च) मनुष्यः सदैव तदेव कर्म कुर्यात् येनान्तरात्मा तुष्यते।→ आम्  

कुछ अतिरिक्त जानकारी :

यह प्रश्न पाठ नीति नवीनतम् - नीति वचन रूपी नवनीत से लिया गया है।  

नीतिनवीनतम् मनुस्मृति किस लोगों का संग्रह है जो सदाचार के लिए अत्यंत जरूरी है। इस पाठ में माता पिता तथा हमारे गुरुजनों को आदर और सेवा से खुश करने वाले मनुष्य को मिलने वाले फायदे को बताया गया है।  

इस पाठ में अच्छे रास्ते में चलने तथा बुरे कामो को त्यागने आदि शिष्टाचारों का भी वर्णन है।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

स्थूलपदान्यवलम्बय प्रश्ननिर्माणं कुरुत-(स्थूल पद का अवलम्बन करते हुए प्रश्न निर्माण कीजिए-)

(क) वृद्धोपसेविनः आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते।

(ख) मनुष्य सत्यपूतां वाचे वदेत्।

(ग) त्रिषु तुष्टेषु सर्वं तपः समाप्यते।

(घ) मातापितारौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते।

(ङ) तयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्।।

https://brainly.in/question/17976837

संस्कृतभाषयां वाक्यप्रयोगं कुरुत-(संस्कृत भाषा में वाक्य प्रयोग कीजिए-)

(क) विद्या

(ख) तपः

(ग) समाचरेत्

(घ) परितोषः

(ङ) नित्यम्

https://brainly.in/question/17977168

Answered by sk181231
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