शिवाजी महाराज की राजमुद्रा किस बात का संकेत थी
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शिवाजी महाराज की राजमुद्रा –
6 जून “इ.स. 1674” को शिवाजी महाराज का रायगड पर राज्याभिषेक हुवा। और तभी से “शिवराज्याभिषेकशक शुरू किया और “शिवराई” ये मुद्रा आयी।
छत्रपती शिवाजी राजे पुणे का काम देखने लगे, तभी उन्होंने खुदकी राजमुद्रा तैयार की। और ये राजमुद्रा संस्कृत भाषा में थी।
संस्कृत : “प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते”
अंग्रेजी अनुवाद:- The glory of this Mudra of Shahaji’s son Shivaji (Maharaj) will grow like the first daymoon. It will be worshiped by the world & it will shine only for well being of people.
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