शिव का अट्टहास नहीं हिम का आतनाद है स्पष्ट कीजिए
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जीवन परिचय-कृष्णनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 1934 ई. में हुआ। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की। इसके बाद इनका झुकाव समाजवादी आंदोलन और बौद्ध दर्शन की ओर हो गया। बौद्ध दर्शन में इनकी गहरी पैठ है। वे अर्थशास्त्र के विद्वान हैं और काशी विद्यापीठ में इसी विषय के प्रोफेसर भी रहे। इनका अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं पर अधिकार है। वे दोनों भाषाओं की पत्रकारिता से जुड़े रहे। ये हिंदी की साहित्यिक पत्रिका कल्पना के संपादक मंडल में कई वर्ष तक रहे। इन्होंने अंग्रेजी के मैनकाइंड का कुछ वर्षों तक संपादन भी किया।
वे राजनीति, पत्रकारिता और अध्यापन की प्रक्रिया से बौद्ध दर्शन की ओर मुड़े। इन्होंने भारतीय व तिब्बती आचार्यों के साथ बैठकर नागार्जुन के दर्शन और वज़यानी परंपरा का अध्यापन किया। इन्होंने भारतीय चिंतक जे. कृष्णमूर्ति के साथ बौद्ध दर्शन पर काम किया। इन्हें लोहिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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