शिव शंकर मिश्र सरस के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए
Answers
Answer:
नाम- डॉ. शिव शंकर मिश्र ‘ सरस’
पिता- श्री विश्वनाथ मिश्र.
माता – श्रीमती सिरमनिया देबी.
जन्म-10-दिसम्बर 1961
जन्मस्थान-वार्ड नं-23/ मड़रिया, सीधी. पोस्ट/जिला-सीधी(म.प्र.)
शिक्षा-पी.एचडी. हिन्दी.
सम्मान-लोकभाषा का ” बैजू सम्मान”। ” विन्ध्य शिखर सम्मान”। ” दुष्यंत कुमार अलंकरण”।” बाँधव साहित्य सम्मान” ।” तुलसी सम्मान”। नगर पालिका सीधी का ” पलिका साहित्य सम्मान” एवं अनेक स्थानीय सम्मान।
उपलब्धि- अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी के बीए के पाठ्यक्रम मे रचनाएँ।
भोज विश्वविद्यालय के हिन्दी विषय के बीए के पाठ्यक्रम मे रचनाएँ।
कक्षा- ” छ ” के सहायक वाचन पुस्तक मे लोककवि के रूप मे विशेष उल्लेख।
मध्यप्रदेश सस्कृति संचालनालय द्वारा प्रकाशित बघेली के वृहद काव्य संग्रह ” सोन और रेवा के स्वर ” के सम्पादक सदष्य।
भाषा बड़ोदरा द्वारा लोक भाषाओं पर केन्द्रित प्रकाशित वृहद ग्रंथ -” मध्यप्रदेश की लोक भाषाएँ ” मे बघेली का शोध आलेख।देशभर की अनेक पत्र पत्रिकाओं मे कविताएँ प्रकाशित।
दूरदर्शन एवं आकाशवाणी मे निरन्तर काव्यपाठ।
सम्प्रति -शासकीय माध्यमिक विद्यालय सीधीखुर्द नवीन मे सहायक शिक्षक।
Answer:
जन्म 18 दिसम्बर 1944
निधन 23 दिसम्बर 2018
जन्म स्थान सोरपनिया, पूर्वी चंपारण, बिहार
कुछ प्रमुख कृतियाँ
‘बीच का पहाड़’, ‘एक नया दिनमान’, ‘लड़ाई बाजार’, ‘बोलो कोयल बोलो’, ‘सीढि़यों का भँवर’ आदि
विविध
‘राधाकृष्ण पुरस्कार’ तथा ‘झारखंड राजभाषा साहित्य सम्मान’ से सम्मानित।
जीवन परिचय
शिवशंकर मिश्र / परिचय
कविताएँ
ईश्वर का दास / शिवशंकर मिश्र
सन्नाटा / शिवशंकर मिश्र
सभी के हाथ जले हैं / शिवशंकर मिश्र
नामहीन / शिवशंकर मिश्र
बीच का पहाड़ / शिवशंकर मिश्र
प्रश्नवेध / शिवशंकर मिश्र
गौरये का घर / शिवशंकर मिश्र
जो कुर्सी पर बैठता है / शिवशंकर मिश्र
चिट्ठी / शिवशंकर मिश्र
गोरी के गीत (सात भाग) / शिवशंकर मिश्र
जस्तेक के दिन / शिवशंकर मिश्र
लौटा दिया शहर ने / शिवशंकर मिश्र
दाँतो की संधियाँ / शिवशंकर मिश्र
घोर जनरव / शिवशंकर मिश्र
सीढि़यों का भँवर / शिवशंकर मिश्र
मेरा देश महान / शिवशंकर मिश्र
वे लोग / शिवशंकर मिश्र
वे माँगें मत / शिवशंकर मिश्र
लोकतंत्र की डोर / शिवशंकर मिश्र
देश मजे में / शिवशंकर मिश्र
ग़ज़लें
मारो न इस को ऐसे, इस पर न खाक डालो / शिवशंकर मिश्र
हो गए हम कत्ल या फिर बच गए इस बार हम / शिवशंकर मिश्र
किसी की आँख में डोरे, किसी के आँख आती क्यों / शिवशंकर मिश्र
रात-दिन की बेकली है और मैं हूँ / शिवशंकर मिश्र
मुनासिब तो नहीं है आप का ऐसे खफा होना / शिवशंकर मिश्र
किसी के सामने खुलकर कभी में रो नहीं पाया / शिवशंकर मिश्र
रो-रो के हँसना है ज़िन्दगी / शिवशंकर मिश्र
रुबाइयाँ और मुक्तक
बू-ए-गुल, रंगे-हिना, कुछ भी नहीं / शिवशंकर मिश्र
अब चाहे गोली हो, सूली, सलीब हो / शिवशंकर मिश्र
कभी दिल का तड़पना देखा नहीं? / शिवशंकर मिश्र
तुम से मिलना कि बिछड़ना तुम से / शिवशंकर मिश्र
मचलते हैं तेज धारे किस तरह / शिवशंकर मिश्र
कभी हँस दे, कभी रो जाए है जी / शिवशंकर मिश्र
दिन आता है, आकर गुजर जाता है / शिवशंकर मिश्र
लोग जो बड़े हैं, वे बड़े हैं / शिवशंकर मिश्र
बिजलियों के पंख लेकर मैं नहीं उड़ता / शिवशंकर मिश्र
दंड की धाराएँ उन के हाथ में हैं / शिवशंकर मिश्र
लड़ाइयाँ कैसी न जाने कर रहे हैं हम / शिवशंकर मिश्र
तार-तार बाँधना है ज़िन्दगी / शिवशंकर मिश्र
मरता नहीं है कोई किसी के लिए मगर / शिवशंकर मिश्र
एक कोई तीर अब ऐसा लगाना चाहिए / शिवशंकर मिश्र
टूटा तुझ से या किसी ने तोड़ डाला फर्क क्या / शिवशंकर मिश्र
प्यार जब ख़ामोशियों की राह चलकर आए है / शिवशंकर मिश्र