शिवमंगल सिंह सुमन की काव्यगत विशेषताएँ निम्न बिन्दुओं के आधार पर
(क)दो रचनार (ख) भावपक्षा-कलापक्ष (ग) साहित्य में स्थान
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प्रश्न :- शिवमंगल सिंह सुमन की काव्यगत विशेषताएँ निम्न बिन्दुओं के आधार पर :- (क) दो रचना (ख) भावपक्षा-कलापक्ष (ग) साहित्य में स्थान l
उतर :-
(क) दो रचना :-
- पर आँखें नहीं भरीं l
- विन्ध्य हिमालय l
(ख) भावपक्षा-कलापक्ष :-
- सुमन जी की निष्ठा गाँधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धान्तों पर दृढ़ रही । इसी कारण इनकी कविताओं में क्रान्तिकारी स्वर पाया जाता है ।
- इनके काव्य में इनका स्वयं का पुष्ट जीवन दर्शन स्पष्ट दृष्टिगत है जिसमें वर्तमान के हर्ष पुलक,राग विराग और आशा उत्साह के स्वर भी मुखरित हुए ।
- सुमन जी की भाषा सरल एवं व्यावहारिक है। उनकी खड़ी बोली में संस्कृत के सरल तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है ।
- सुमन जी ने मुक्त छन्द लिखे हैं और परम्परागत शब्दों की समृद्धि में सहयोग दिया है ।
(ग) साहित्य में स्थान :-
- सुमन जी उत्तर छायावादी युग के प्रगतिशील प्रयोगवादी कवियों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं ।
- वे एक सुललित गीतकार, महान् प्रगतिवादी एवं वर्तमान युग के कवियों में अग्रगण्य हैं ।
- वे हिन्दी साहित्य को ऐसी निधि प्रदान कर गये हैं जो कभी भी नष्ट नहीं हो सकती ।
- हिन्दी साहित्य की प्रगति में इनका सहयोग अतुलनीय है ।
यह भी देखें :-
प्र022 सूरदास और शिवमंगल सिंह सुमन की काव्यगत विशेषताएँ निम्न बिन्दुओं के आधार पर
लिखिए
(क) दो रचनाएँ (ख) भावपक्ष-कलापक्...
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