Hindi, asked by ishamehta19234, 8 months ago

शा यत और समाज दोनों के िवकास के लए अिनवाय ह|ै अान के अं धकार म जीना तो मृ ु से भी अधक क कर ह|ै ान के काश से ही जीवन के रहय खलु ते है और हम अपनी पहचान मलती ह|ै शा मनु य को मतक और देह का उचत योग करना सखाती ह|ै वह शा जो मानव को पा पु तकों के ान के अितरत कु छ गं भीर
च तन न दे, यथ ह|ै यिद हमारी शा ससु ं कृ त, सय, सचर एवं अे नागरक नहीं बना सकती, तो उससे ा लाभ? सदय, सचा परं तु अनपढ़ मजर उस ातक से कहीं अा है जो िनदय और चरहीन ह|ै सं सार के सभी वभै व औरसखु साधनभीमनुयकोतबतकसखु ीनहींबनासकतेजबतकिकमनुयकोआमकाननहो|हमारेकुछ अधकार व उरदायव भी ह| शत यत को अपने उरदायवों और कत यों का उतना ही यान रखना चािहए जतना िक अधकारों का ोंिक उरदायव िनभाने और कत य करने के बाद ही हम अधकार पाने के अधकारी बनते ह| (क) अान म जीिवत रहना मृ ु से अधक ककर ह,ै ऐसा ों कहा गया ह?ै
(ख) शा के िकहीं दो लाभों को समझाइए|
(ग) अधकारों और कत यों का पारपरक सं बं ध समझाइए?
(घ) शा यत और समाज दोनों के िवकास के लए ों आवयक ह?ै
(ड़) इस गां श के लए एक उपयु त शीषक दजए|

Answers

Answered by rahul488977
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Answer:

सखाती ह|ै वह शा जो मानव को पा पु तकों के ान के अितरत कु छ गं भीर

च तन न दे, यथ ह|ै यिद हमारी शा ससु ं कृ त, सय, सचर एवं अे नागरक नहीं बना सकती, तो उससे ा लाभ? सदय, सचा परं तु अनपढ़ मजर उस ातक से कहीं अा है जो िनदय और चरहीन ह|ै सं सार के सभी वभै व औरसखु साधनभीमनुयकोतबतकसखु ीनहींबनासकतेजबतकिकमनुयकोआमकाननहो|हमारेकुछ अधकार व उरदायव भी ह| शत यत को अपने उरदायवों और कत यों का उतना ही यान रखना चािहए जतना िक अधकारों का ोंिक उरदायव िनभाने और कत य करने के बाद ही हम अधकार पाने के अधकारी बनते ह| (क) अान म जीिवत रहना मृ ु से अधक ककर ह,ै ऐसा ों कहा गया ह?ै

(ख) शा के िकहीं दो लाभों को समझाइए|

(ग) अधकारों और कत यों का पारपरक सं बं ध समझाइए?

(घ) शा यत और समाज दोनों के िवकास के लए ों आवयक ह?ै

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