Hindi, asked by mayanpatil06092006, 1 month ago

शब्दो‌‌ के आधार पर ‌कहानी लेखन
मिट्टी,चांद,खरगोश,कागज​

Answers

Answered by kmshansika
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ABOVE STORY ON SOIL

Short story on paper

एक दिन एक प्रोफेसर ने कक्षा में प्रवेश किया और अपने छात्रों से एक अचानक परीक्षा लेने के लिए कहा। छात्र प्रश्न पत्र के लिए उत्सुकता से अपने-अपने डेस्क पर प्रश्नपत्रिका इंतजार कर रहे थे। प्रोफेसर ने हमेशा की तरह प्रश्न पत्र को उलट कर छात्रों की डेस्क पर रख दिया ताकि परीक्षा का समय शुरू होने तक कोई भी छात्र प्रश्न पत्र को ना देख सके।

जैसे की परीक्षा का समय हुआ प्रोफेसर ने सभी छात्रों को उत्तर लिखना आरंभ करने के लिए कहा। सभी छात्रों ने प्रश्नपत्र पलट कर देखा, छात्रों के आश्चर्य का कोई ठिकाना ही नहीं था, कोई सवाल नहीं था, पृष्ठ के केंद्र में सिर्फ एक काला बिंदु था।

प्रोफेसर ने हर किसी के चेहरे पर अभिव्यक्ति को देखा, और छात्रों से कहा, “मैं चाहता हूं कि आप वहां जो कुछ भी देखते हैं उसे लिखें।” भ्रमित छात्रों को अकथनीय कार्य पर शुरू किया गया। कक्षा के अंत में, प्रोफेसर ने सभी उत्तर पुस्तिकाओं को ले लिया और उनमें से प्रत्येक को सभी छात्रों के सामने जोर से पढ़ना शुरू कर दिया। बिना किसी अपवाद के उन सभी ने ब्लैक डॉट का वर्णन किया, जो शीट आदि के बीच में अपनी स्थिति समझाने की कोशिश कर रहा था।

कक्षा चुप थी। जब प्रोफेसर ने सभी छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं पढ़ ली, तो उन्होंने समझाना शुरू किया, “मैं इस बारे में आप पर कुछ नहीं कर रहा हूँ, मैं सिर्फ आपको सोचने के लिए कुछ देना चाहता हूँ। कागज के सफेद हिस्से के बारे में किसी ने नहीं लिखा। सभी ने ब्लैक डॉट पर ध्यान केंद्रित किया और हमारे जीवन में भी ऐसा ही होता है।

हमारे पास निरीक्षण करने और आनंद लेने के लिए एक श्वेत पत्र है, लेकिन हम हमेशा अंधेरे स्थानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ईश्वर ने बड़े ही प्रेम के साथ हमें जीवन रूपी उपहार दिया है। हमारे पास हमेशा जश्न मनाने के बहुत से कारण हैं, प्रकृति हर दिन खुद को नया करती है, हमारे चारों ओर हमारे दोस्त, हमारी नौकरी या बिजनेस जिससे हमारा घर चलता है, और बहुत सारे चमत्कार जो हम रोज देखते हैं देखते हैं। “

“हालांकि, हम केवल काले धब्बों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हैं, स्वास्थ्य के मुद्दे जो हमें परेशान करते हैं, धन की कमी, परिवार के सदस्य के साथ जटिल संबंध, दोस्तों के साथ निराशा आदि। हमारे जीवन में ऐसी बहुत ढेर सारी घटनाएं होती हैं जो हमें काफी खुशी देती हैं जिनके सामने यह काला धब्बा कुछ भी नहीं है। लेकिन हम काले धब्बे के बारे में ही सोच कर अपने विचारों को दूषित करते हैं। मेरा सुझाव है अपने नजरिए को काले धब्बे से दूर रखो और जो खुशियां हमें मिली हैं उन पर ध्यान दो। खुश रहो और सकारात्मक जीवन जियो! ”

Story on moon and rabbit

बहुत समय पहले गंगा किनारे एक जंगल में चार दोस्त रहते थे, खरगोश, सियार, बंदर और ऊदबिलाव। इन सभी दोस्तों की एक ही चाहत थी, सबसे बड़ा दानवीर बनना। एक दिन चारों ने एक साथ फैसला लिया कि वो कुछ-न-कुछ ऐसा ढूंढकर लाएंगे, जिसे वो दान कर सकें। परम दान करने के लिए चारों मित्र अपने-अपने घर से निकल गए।

ऊदबिलाव गंगा तट से लाल रंग की सात मछलियां लेकर आ गया। सियार दही से भरी हांडी और मांस का टुकड़ा लेकर आया। उसके बाद बंदर उछलता-कूदता बाग से आम के गुच्छे लेकर आया। दिन ढलने को था, लेकिन खरगोश को कुछ नहीं समझ आया। उसने सोचा अगर वो घास का दान करेगा, तो उसे दान का कोई लाभ नहीं मिलेगा। यह सोचते-सोचते खरगोश खाली हाथ वापस चला गया।

खरगोश को खाली हाथ लौटते देख उससे तीनों मित्रों ने पूछा, “अरें! तुम क्या दान करोगे? आज ही के दिन दान करने से महादान का लाभ मिलेगा, पता है न तुम्हें।” खरगोश ने कहा, “हां, मुझे पता है, इसलिए आज मैंने खुद को दान करने का फैसला लिया है।” यह सुनकर खरगोश के सारे दोस्त हैरान हो गए। जैसे ही इस बात की खबर इंद्र देवता तक पहुंची, तो वो सीधे धरती पर आ गए।

इंद्र साधु का भेष बनाकर चारों मित्रों के पास पहुंचे। पहले सियार, बंदर और ऊदबिलाव ने दान दिया। फिर खरगोश के पास इंद्र देवता पहुंचे और कहा तुम क्या दान दोगे। खरगोश ने बताया कि वो खुद को दान कर रहा है। इतना सुनते ही इंद्र देव ने वहां अपनी शक्ति से आग जलाई और खरगोश को उसके अंदर समाने के लिए कहा।

खरगोश हिम्मत करके आग के अंदर घुस गया। इंद्र यह देखकर हैरान रह गए। उनके मन में हुआ कि खरगोश सही में बहुत बड़ा दानी है और इंद्र देव यह देख बहुत खुश हुए। उधर, खरगोश आग में भी सही सलामत खड़ा था। तब इंद्र देव ने कहा, “मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। यह आग मायावी है, इसलिए इससे तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।”

इतना कहने के बाद इंद्र देव ने खरगोश को आशीर्वाद देते हुए कहा, “तुम्हारे इस दान को पूरी दुनिया हमेशा याद करेगी। मैं तुम्हारे शरीर का निशान चांद पर बनाऊंगा।” इतना कहते ही इंद्र देव ने चांद में एक पर्वत को मसलकर खरगोश का निशान बना दिया। तब से ही मान्यता है कि चांद पर खरगोश के निशान हैं और इसी तरह चांद तक पहुंचे बिना ही, चांद पर खरगोश की छाप पहुंच गई।

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