शब्द किसे कहते हैं शब्दों का वगीकरण किन आधारों पर किया गया है
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Answer:
वर्णो के ऐसे समूह जिनका अर्थ सार्थक होता है ऐसे समूहों को शब्द कहते है।”
भाषा में वर्ण के बाद सबसे छोटी इकाई शब्द होती है।
उदाहरण: एक वर्ण से निर्मित शब्द = न (जिसका अर्थ नहीं होता है)।
एक से अधिक वर्णो से निर्मित शब्द = आप, वह, कोई आदि।
” एक या एक से अधिक वर्ण [(बहुविकल्पी शब्द)वर्णों] से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ईकाई ही’शब्द’कहलाते है।”
जैसे – एक वर्ण से निर्मित शब्द- न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ता, शेर, कमल, नयन, प्रासाद, सर्वव्यापी, परमात्मा आदि
शब्द के प्रकार
सामान्यतः शब्द के 2 प्रकार होते है।
1. रचना के आधार पर शब्द
रचना के आधार पर मतलब अक्षरों के योग और परिवर्तन के द्वारा बनाये गए शब्दो को रचना पर आधारित शब्द कहा जाता है।
रचना के आधार पर शब्द 3 प्रकार के होते है
रूढ़ शब्द संज्ञा:
वह संज्ञा शब्द जिसका सार्थक खण्डन न हो सके अर्थात छोटी से छोटी अर्थपूर्ण संज्ञा (नाम) को ही रूढ़ संज्ञा कहा जाता हैं।
उदाहरण: राम, कृष्ण, सीता, राधा, विष्णु, जल, आग, पानी, आदि।
यौगिक रूढ़ संज्ञा:
वह संज्ञा जो दो या दो से अधिक रूढ़ संज्ञाओं से मिलकर बनती हैं। यौगिक संज्ञाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण: दशरथ = दस + रथ, पाठशाला = पाठ + शाला
योगरूढ़ संज्ञा:
दो रूढ़ संज्ञाओं से मिलकर बनी संज्ञा को ही योगरूढ़ संज्ञा कहा जाता हैं किंतु योगरूढ़ संज्ञा का अर्थ रूढ़ संज्ञाओं से (जिनसे मिलकर बनी हैं) भिन्न होता हैं।
उदाहरण:- दशानन अर्थात रावन – दस + आनन
नोट: बहुव्रीहि समास के वे उदाहरण जो नामों से संबंधित हो योगरूढ़ संज्ञा के उदाहरण होते हैं।
2. अर्थ के आधार पर शब्द
प्रत्येक शब्द का कोई न कोई अर्थ होता है और कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ भी होते हैं इसी तरह अर्थो के आधार पर वर्गीकृत किये गए शब्दो को अर्थ के आधार पर शब्द कहा जाता है।
अर्थ के आधार पर शब्द पांच प्रकार के होते है
1. संज्ञा:
संज्ञा का शाब्दिक अर्थ नाम होता है। अतः व्यक्ति, गुण, प्राणी, व जाति, स्थान , वस्तु, क्रिया और भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा के आधार पर पद/शब्द 5 प्रकार के होते हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा
द्रव्यमान वाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा
समूहवाचक संज्ञा
2. सर्वनाम:
वे शब्द जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होकर उस स्थान पर आने वाली संज्ञा के अर्थ की पूर्ति करते हैं किंतु संज्ञा (वास्तविक नाम) नहीं होता।
सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ हैं सबका नाम होता हैं। अर्थात सर्वनाम शब्द किसी एक व्यक्ति का नाम न होकर सभी का (वाक्य बोलने वाले) का नाम होता हैं।
उदाहरण: मैं चाय पीकर खाना खाती हूँ।
यहाँ पर मैं किसी एक व्यक्ति का सूचक नहीं हैं किंतु इस वाक्य को बोलने वाले प्रत्येक व्यक्ति का सूचक सर्वनाम के रूप में हैं।
सर्वनाम मुख्य रूप से 6 प्रकार के होते हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम
निजवाचक सर्वनाम
निश्चितवाचक सर्वनाम
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
प्रश्नवाचक सर्वनाम
संबंधवाचक सर्वनाम
3. क्रिया:
जिन शब्दों से क्रिया (कार्य) सम्पन्न होने और कोई कार्य वर्तमान में सम्पन्न हो रहा हो या चल रहा हो आदि का बोध कराने वाले शब्द को क्रिया कहा जाता हैं।
धातु:- क्रिया के मूल रूप को मुख्य धातु कहाँ जाता हैं। धातु से ही क्रिया शब्द का निर्माण होता हैं।
कर्म के आधार पर या रचना के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं।
सकर्मक
अकर्मक
4. विशेषण:
वे शब्द जो संज्ञा और सर्वनाम किसी (वस्तु, पुरुष, स्थान, और इनके नाम के बदले जो सर्वनाम शब्द प्रयुक्त होते हैं) विशेषता बतलाते हैं। विशेषण कहलाते हैं।
जो शब्द विशेषता बतलाते हैं विशेषण एवं जिसकी विशेषता बताए जाती हैं उसे विशेष्य कहाँ जाता हैं।
उदाहरण: राम दुबला-पतला लड़का हैं।
विशेषण मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं।
सर्वनाम विशेषण
गुणवाचक विशेषण
संख्यावाचक विशेषण
परिमाणवाचक विशेषण
5. अव्यय:
वे शब्द जिनमें लिंग, वचन, कारक के आधार पर मूल शब्द में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात मूल शब्द अपरिवर्तित रहता हैं अवयव कहलाते है।
उदाहरण:- आज, कल, इधर, उधर, किन्तु, परन्तु, लेकिन, जबतक, अबतक, क्यों, इसलिए, किसलिए, अतः, अब।
अव्यय के चार भेद होते हैं।
क्रिया विशेषण
संबंधबोधक अव्यय
समुच्चय बोधक अव्यय
विस्मयमाधिबोधक अव्यय