शब्दार्थ लिखिए l प्रसन्न
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खुश
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*वीर तुम अड़े रहो,*
*रजाई में पड़े रहो।।*
*चाय का मजा रहे,*
*पकौड़ी से सजा रहे।।*
*मुंह कभी रुके नहीं,*
*रजाई कभी उठे नहीं।।*
*वीर तुम अड़े रहो,*
*रजाई में पड़े रहो।।*
*मां की लताड़ हो,*
*बाप की दहाड़ हो।।*
*तुम निडर डटो वहीं,*
*रजाई से उठो नहीं।।*
*वीर तुम अड़े रहो,*
*रजाई में पड़े रहो।।*
*मुंह गरजते रहे,*
*डंडे भी बरसते रहे।।*
*दीदी भी भड़क उठे,*
*चप्पल भी खड़क उठे।।*
*वीर तुम अड़े रहो,*
*रजाई में पड़े रहो।।*
*प्रातः हो कि रात हो,*
*संग कोई न साथ हो।।*
*रजाई में घुसे रहो,*
*तुम वही डटे रहो।।*
*वीर तुम अड़े रहो,*
*रजाई में पड़े रहो।।*
*एक रजाई लिए हुए*
*एक प्रण किए हुए।।*
*अपने आराम के लिए,*
*सिर्फ आराम के लिए।।*
*वीर तुम अड़े रहो,*
*रजाई में पड़े रहो।।*
*कमरा ठंड से भरा,*
*कान गालीयों से भरे।।*
*यत्न कर निकाल लो,*
*ये समय निकाल लो।।*
*ठंड है ये ठंड है,*
*यह बड़ी प्रचंड है।।*
*हवा भी चला रही,*
*धूप को डरा रही।।*
*वीर तुम अड़े रहो,*
*रजाई में पड़े रहो।।*
*(रजाई धारी सिंह 'दिनभर)'*
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