शब्द रचना में उपसर्ग की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
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उपसर्ग
वे शब्दांश जो किसी शब्द के आरंभ में लगते हैं और उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्गकहलाते हैं ।
जैसे- स्वदेश, प्रयोग इत्यादि । स्वदेश में स्व उपसर्ग है । प्रयोग में प्र उपसर्ग है ।
उपसर्गों को चार भागों में बाँटा जा सकता हैं-
(i) संस्कृत के उपसर्ग
(ii) हिन्दी के उपसर्ग
(iii) उर्दू के उपसर्ग
(iv) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
वे शब्दांश जो किसी शब्द के आरंभ में लगते हैं और उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्गकहलाते हैं ।
जैसे- स्वदेश, प्रयोग इत्यादि । स्वदेश में स्व उपसर्ग है । प्रयोग में प्र उपसर्ग है ।
उपसर्गों को चार भागों में बाँटा जा सकता हैं-
(i) संस्कृत के उपसर्ग
(ii) हिन्दी के उपसर्ग
(iii) उर्दू के उपसर्ग
(iv) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
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वे शब्दांश जो किसी शब्द के आरंभ में लगते हैं और उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं उपसर्ग कहलाते हैं । जैसे स्वदेश और प्रयोग इत्यादि। स्वदेश में स्व उपसर्ग है और प्रयोग में प्र।
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