शब्द-शक्ति किसे कहते हैं? इसका एक उदाहरण लिखिए।
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शब्द-शक्ति ► शब्दों के अर्थ का बोध कराने वाले भाव को शब्द-शक्ति कहते हैं, अर्थात किसी शब्द या शब्द समूह जो अर्थ छिपा होता है, उसका बोध कराने के भाव को शब्द-शक्ति कहते हैं। शब्द-शक्ति के प्रकार के आधार पर उस शब्द के भिन्न-भिन्न अर्थ हो सकते हैं।
शब्द शक्ति के तीन भेद होते हैं...
अभिधा
लक्षणा
व्यंजना
अभिधा : अभिधा में शब्द के अर्थ में कोई विरोधाभास या अवरोध नही होता और उसका सीधा अर्थ होता है, जैसे...
राम पुस्तक पढ़ रहा है।
यहाँ पर सीधा स्पष्ट है कि राम नाम का एक व्यक्ति पुस्तक पढ़ रहा है।
लक्षणा : लक्षणा में शब्दों में एक विशिष्ट अर्थ छिपा होता है, जो शब्द को सामान्य अर्थ से अलग विशिष्ट अर्थ प्रयुक्त करता है। जैसे...
राजू बिल्कुल गधा है।
रमेश शेर है।
यहाँ पर राजू को गधा बताने के पीछे का भाव ये नही कि वो गधा नामक जानवर है, बल्कि ये है कि गधा एक मूर्ख प्राणी माना जाता तो राजू की संज्ञा गधे से करके राजू को मूर्ख बताने की कोशिश की गई है।
दूसरे वाक्य में रमेश को शेर बताकर उसे वीर और निडर तथा ताकतवर बताने की कोशिश की गयी है, क्योंकि शेर ताकत का प्रतीक है।
व्यंजना : जब एक ही तरह से शब्दों से अलग-अलग व्यक्तियों के लिये अलग-अलग अर्थ बनते हों तो वहाँ व्यंजना शब्द शक्ति होती है। जैसे...
सुबह के छः बज गए।
सुबह के छः बजने का अलग-अलग लोगों के लिए अलग अर्थ होगा।
घर में काम करने वाली गृहिणई के लिए घर के कामकाज शुरू करने का अर्थ है।
बच्चों के लिए स्कूल जाने के लिए तैयार होने का अर्थ है।
जो चौकीदार रात भर ड्यूटी करता है. उसे अपनी ड्यूटी समाप्त होने का अर्थ है।
Answer:
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