शबद क्या है? शबद का भेद किन आघार पर किया जाता है
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humko nahi pata shabad kya hai
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एक या एक से अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि ही शब्द कहलाती है।
जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द- न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ता, शेर, कमल, नयन, प्रासाद, सर्वव्यापी, परमात्मा आदि |भारतीय संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है।
शब्द भेद ( Shabd bhed )
(1) अर्थ के आधार पर (Arth ke Aadhar par shabd ke bhed)
(2) उत्पत्ति के आधार पर (Utpatti ke Aadhar par shabd ke bhed)
(3) रचना के आधार पर (Rachna ke Aadhar par shabd ke bhed)
(4) प्रयोग के आधार पर (Prayog ke Aadhar par shabd ke bhed)
● अर्थ के आधार पर (Arth ke Aadhar par shabd ke bhed)
सार्थक शब्द (Sarthak Shabd)
→ जिन शब्दों के अर्थ ग्रहण किये जा सकते है, उन्हें हम सार्थक शब्द कहते हैं।
जैसे – रोटी, पेड़, चाय।
निरर्थक शब्द (Nirarthak Shabd)
→ जिन शब्दों के अर्थ ग्रहण नहीं किये जा सकते उन्हें हम निरर्थक शब्द कहते हैं।
जैसे – वाय, पूड़, राटी आदि।
● रचना के आधार पर शब्द भेद (Rachna ke Aadhar par shabd ke bhed)
रूढ़ शब्द
→ वे शब्द जो एक निश्चित अर्थ में प्रयोग किये जाते हैं और अपने आप में पूर्ण होते हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।
जैसे → घर, माता, कलम
रूढ़ शब्दों के खंडों का कोई अर्थ नहीं होता।
जैसे → क +ल +म = कलम
योगिक शब्द
– योग का अर्थ है – मिलाना अर्थात् वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने हों, यौगिक शब्द कहलाते है।
जैसे →
पाठशाला = पाठ +शाला
पुस्तकालय = पुस्तक +आलय
दुकानदार = दुकान + दार
योगरूढ़
- जो शब्ददो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने हो पर किसी विशेष अर्थ को दर्शाते हों, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं।
● उत्पत्ति के आधार पर (Utpatti ke Aadhar par shabd ke bhed)
तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) →
परिभाषा → वे शब्द जो संस्कृत से आए हैं। हिंदी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के प्रयुक्त होते है वे तत्सम शब्द कहलाते हैं।
जैसे → अग्नि, कण्ठ, स्वर्ण, सूर्य इत्यादि
तद्भव शब्द (Tadbhav Shabd) →
तद् + भव अर्थात् ‘उससे उत्पन्न’
वे शब्द जो आए तो संस्कृत से हैं, लेकिन हिंदी में जिनका रूप परिवर्तित हो गया है वे शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं।
जैसे →
तत्सम = तद्भव
ग्राम = गाँव
धैर्य = धीरज
चंद्र = चाँद
घट = घड़ा
दीपक = दीया
देशज शब्द (Deshaj Shabd) →
वे शब्द जो देश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की बोलियों से हिंदी में आए है, वे देशज शब्द कहलाते हैं।
जैसे → खटिया, थैला, खचाखच ढोर परात, बड़बड़ाना आदि।
विदेशज शब्द (Ve deshaj Shabd) →
वे शब्द जो विदेशी भाषाओं से हिंदी में आए हैं, वे विदेशज शब्द कहलाते हैं।
जैसे → रिक्शा (जापानी)
कुछ अन्य विदेशी शब्द
अंग्रेजी → चाॅकलेट, रेल, बैंक, कार
अरबी → आदमी, मरीज़, तारीख गरीब।
फ़ारसी → गुब्बारा, शराब, शादी, दरवाज़ा
पुर्तगाली → गमला, तौलिया
संकर शब्द (Shankar Shabd) →
जब दो अलग-अलग भाषाओं के मेल से नया शब्द बनता है तब वह संकर शब्द कहलाता है।
● प्रयोग के आधार पर शब्द भेद (Prayog ke Aadhar par shabd ke bhed)
प्रयोग के आधार पर - प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं -
विकारी शब्द
- ऐसे शब्द जो भाषा में प्रयोग किए जाने पर लिंग, वचन और कारक के कारण अपना रूप बदल लेते हैं, वे 'विकारी शब्द' कहलाते हैं ।
अविकारी शब्द
- जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं।
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