शहीद भगत सिंह के जीवन की अनेक घटनाएँ देशभक्ति की प्रेरणा देती है । ऐसी किसी घटना को पढ़ो और अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर उस घटना को बताओ और उसे देश सेवा के लिए प्रेरित करो ।
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भगत सिंह के प्रेम में पड़ी थी लड़की, सुखदेव ने कसा तंज तो देश के लिए मर मिटने को तैयार हो गया भारत मां का बेटा
सुखदेव ने भगत सिंह को ताना मारा कि तुम मरने से डरते हो और ऐसा उस लड़की की वजह से है. इस आरोप से भगत सिंह का हृदय रो उठा. उन्होंने दोबारा दल की मीटिंग बुलाई और असेंबली में बम फेंकने का जिम्मा जोर देकर अपने नाम करवाया.
नई दिल्ली. शहीद-ए-आजम, अमर शहीद और न जाने कितने नाम हैं भगत सिंह के लिए. देश की आजादी के लिए मर मिटने वालों में भगत सिंह का नाम सबसे पहले लिया जाता है. लेकिन क्या आपको मालूम है जिस असेंबली बम कांड के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई, उस घटना के होने से पहले की कहानी में प्रेम, प्यार, इश्क जैसी बातें भी हैं? जी हां, भगत सिंह लाहौर के नेशनल कॉलेज के छात्र थे। एक सुंदर-सी लड़की आते जाते उन्हें देखकर मुस्कुरा देती थी. भगत सिंह की वजह से वह भी क्रांतिकारी दल के करीब आ गई थी. जब असेंबली में बम फेंकने की योजना बन रही थी तो भगत सिंह को दल की जरूरत बताकर साथियों ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौपने से इंकार कर दिया. इस पर भगत सिंह के अंतरंग मित्र सुखदेव ने ताना मारा कि तुम मरने से डरते हो और ऐसा उस लड़की की वजह से है. इस आरोप से भगत सिंह का हृदय रो उठा. उन्होंने दोबारा दल की मीटिंग बुलाई और असेंबली में बम फेंकने का जिम्मा जोर देकर अपने नाम करवाया. आठ अप्रैल, 1929 को असेंबली में बम फेंकने से पहले 5 अप्रैल को दिल्ली के सीताराम बाजार के घर में उन्होंने सुखदेव को इस संबंध में पत्र लिखा. यह 13 अप्रैल को सुखदेव की गिरफ़्तारी के वक्त उनके पास से बरामद किया गया. इस पत्र को अंग्रेज सरकार ने लाहौर षड्यंत्र केस में सबूत के तौर पर भी पेश किया था. आज भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर आइए पढ़ते हैं भगत सिंह का सुखदेव के नाम लिखा वह पत्र
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भगत सिंह के प्रेम में पड़ी थी लड़की, सुखदेव ने कसा तंज तो देश के लिए मर मिटने को तैयार हो गया भारत मां का बेटा
सुखदेव ने भगत सिंह को ताना मारा कि तुम मरने से डरते हो और ऐसा उस लड़की की वजह से है. इस आरोप से भगत सिंह का हृदय रो उठा. उन्होंने दोबारा दल की मीटिंग बुलाई और असेंबली में बम फेंकने का जिम्मा जोर देकर अपने नाम करवाया.
By India.com Hindi News Desk | Published:Fri, March 23, 2018 11:25am
नई दिल्ली. शहीद-ए-आजम, अमर शहीद और न जाने कितने नाम हैं भगत सिंह के लिए. देश की आजादी के लिए मर मिटने वालों में भगत सिंह का नाम सबसे पहले लिया जाता है. लेकिन क्या आपको मालूम है जिस असेंबली बम कांड के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई, उस घटना के होने से पहले की कहानी में प्रेम, प्यार, इश्क जैसी बातें भी हैं? जी हां, भगत सिंह लाहौर के नेशनल कॉलेज के छात्र थे। एक सुंदर-सी लड़की आते जाते उन्हें देखकर मुस्कुरा देती थी. भगत सिंह की वजह से वह भी क्रांतिकारी दल के करीब आ गई थी. जब असेंबली में बम फेंकने की योजना बन रही थी तो भगत सिंह को दल की जरूरत बताकर साथियों ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौपने से इंकार कर दिया. इस पर भगत सिंह के अंतरंग मित्र सुखदेव ने ताना मारा कि तुम मरने से डरते हो और ऐसा उस लड़की की वजह से है. इस आरोप से भगत सिंह का हृदय रो उठा. उन्होंने दोबारा दल की मीटिंग बुलाई और असेंबली में बम फेंकने का जिम्मा जोर देकर अपने नाम करवाया. आठ अप्रैल, 1929 को असेंबली में बम फेंकने से पहले 5 अप्रैल को दिल्ली के सीताराम बाजार के घर में उन्होंने सुखदेव को इस संबंध में पत्र लिखा. यह 13 अप्रैल को सुखदेव की गिरफ़्तारी के वक्त उनके पास से बरामद किया गया. इस पत्र को अंग्रेज सरकार ने लाहौर षड्यंत्र केस में सबूत के तौर पर भी पेश किया था. आज भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर आइए पढ़ते हैं भगत सिंह का सुखदेव के नाम लिखा वह पत्र. Also Read - देश की पीढ़िया खुली हवा में ले सके सांस, इसलिए मंगल पांडे ने दे दी कुर्बानी
प्रिय भाई, Also Read - कोल्हापुर के शिवाजी विश्वविद्यालय का नाम अब ये करना चाहते हैं महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे
है.
क्या मैं यह आशा कर सकता हूं कि किसी खास व्यक्ति से द्वेष रखे बिना तुम उनके साथ हमदर्दी करोगे, जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है? लेकिन तुम तब तक इन बातों को नहीं समझ सकते जब तक तुम स्वयं उस चीज का शिकार न बनो. मैं यह सब क्यों लिख रहा हूं? मैं बिल्कुल स्पष्ट होना चाहता था. मैंने अपना दिल साफ कर दिया है.
तुम्हारी हर सफलता और प्रसन्न जीवन की कामना सहित,
तुम्हारा भाई
भगत सिंह
bro please follow me me and mark me brain
thankyou