Hindi, asked by diyagupta1537, 6 months ago

शहीदों में तू नाम लिखा ले रे कविता का सार​

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Answered by Anonymous
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Answered by sakshamjaiswal222
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Answer:

वह देश, देश क्या है, जिसमें

लेते हों जन्म शहीद नहीं।

वह खाक जवानी है जिसमें

मर मिटने की उम्मीद नहीं।

वह मां बेकार सपूती है,

जिसने कायर सुत जाया है।

वह पूत, पूत क्या है जिसने

माता का दूध लजाया है।

सुख पाया तो इतरा जाना,

दुःख पाया तो कुम्हला जाना।

यह भी क्या कोई जीवन है:

पैदा होना, फिर मर जाना !

पैदा हो तो फिर ऐसा हो,

जैसे तांत्या बलवान हुआ।

मरना हो तो फिर ऐसे मर,

ज्यों भगतसिंह कुर्बान हुआ।

जीना हो तो वह ठान ठान,

जो कुंवरसिंह ने ठानी थी।

या जीवन पाकर अमर हुई

जैसे झांसी की रानी थी।

यदि कुछ भी तुझ में जीवन है,

तो बात याद कर राणा की।

दिल्ली के शाह बहादुर की

औ कानपूर के नाना की।

तू बात याद कर मेरठ की,

मत भूल अवध की घातों को।

कर सत्तावन के दिवस याद,

मत भूल गदर की बातों को।

आज़ादी के परवानों ने जब

खूं से होली खेली थी।

माता के मुक्त कराने को

सीने पर गोली झेली थी।

तोपों पर पीठ बंधाई थी,

पेड़ों पर फांसी खाई थी।

पर उन दीवानों के मुख पर

रत्ती-भर शिकन न आई थी।

वे भी घर के उजियारे थे

अपनी माता के बारे थे।

बहनों के बंधु दुलारे थे,

अपनी पत्नी के प्यारे थे।

पर आदर्शों की खातिर जो

भर अपने जी में जोम गए।

भारतमाता की मुक्ति हेतु,

अपने शरीर को होम गए।

कर याद कि तू भी उनका ही

वंशज है, भारतवासी है।

यह जननी, जन्म-भूमि अब भी,

कुछ बलिदानों की प्यासी है।

अंग्रेज गए जैसे-तैसे,

लेकिन अंग्रेजी बाकी है।

उनके बुत छाती पर बैठे,

ज़हनियत अभी वह बाकी है।

कर याद कि जो भी शोषक है

उसको ही तुझे मिटाना है।

ले समझ कि जो अन्यायी है

आसन से उसे हटाना है।

ऐसा करने में भले प्राण

जाते हों तेरे, जाने दे।

अपने अंगों की रक्त-माल

मानवता पर चढ़ जाने दे।

तू जिन्दा हो और जन्म-भूमि

बन्दी हो तो धिक्कार तुझे।

भोजन जलते अंगार तुझे,

पानी है विष की धार तुझे।

जीवन-यौवन की गंगा में

तू भी कुछ पुण्य कमा ले रे!

मिल जाए अगर सौभाग्य

शहीदों में तू नाम लिखा ले रे!

- गोपालपरसाद व्यास

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