शहरी गरीबी को हल करने की योजना का नाम लिखिए
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Answer:
भारत ने पिछले दो दशकों में जबरदस्त वृद्धि हासिल की। 1994 से 2012 के दौरान गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों का अनुपात 45% से घटकर 22% हो गया। लगभग 133 मिलियन भारतीय गरीबी के दुष्चक्र से मुक्त हुए। वर्तमान में भारत सरकार गरीबी उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है जिसे देश के माननीय प्रधानमंत्री ने “20 वीं शताब्दी का सबसे बड़ा अपूर्ण कार्य” कहा है।
Answer:
निरंतर बढ़ती मांग को पूरा करने, समतामूलक एवं समावेशी शहरी विकास को सतत रखने और गरीबी कम करने के लिए सरकार ने कई मुख्य पहल की हैं, उदाहरण के लिए- सभी के लिए आवास, अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत), स्मार्ट सिटी मिशन, डिजिटल इंडिया, जन धन योजना और मेक इन इंडिया।
Explanation:
शहरी गरीबी (Urban Poverty) गरीबी का एक रूप है जो विशेष रूप से बड़े शहरों या महानगरों में दिखाई देती है और यह बदतर जीवन परिस्थितियों एवं निम्न आय के साथ-साथ जीवन के एक सभ्य स्तर के लिये आवश्यक उपयोगिताओं की कमी के रूप में परिलक्षित होती है।
शहरी गरीबी के पीछे के प्रमुख कारण
ग्रामीण-शहरी प्रवास का वृहत स्तर
कौशल की कमी
ऋणग्रस्तता
मुद्रास्फीति
शहरी गरीबों की स्थिति में सुधार -
उचित सामाजिक सुरक्षा:
अधिकांश राहत धनराशि और लाभ मलिन बस्ती निवासियों तक नहीं पहुँच पाते, जिसका मुख्य कारण यह है कि ये बस्तियाँ सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता-प्राप्त नहीं होती हैं।
अनौपचारिक श्रमिकों के लिये उचित सामाजिक सुरक्षा उपायों का अभाव उभरकर सामने आया है और इसका शहरी गरीबी पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इस प्रकार, समय की आवश्यकता है कि शहरी नियोजन (Urban Planning) और प्रभावी शासन के लिये नए दृष्टिकोण अपनाए जाएँ।
समुदाय संपर्क अभियान:
समाज कल्याण योजनाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये विशेष सामुदायिक संपर्क अभियान (Community Connect Campaigns) शुरू किये जाने चाहिये।
इस तरह के अभियानों में एलपीजी कनेक्शन, बैंक खाते, जीवन एवं दुर्घटना बीमा और कर्मचारी राज्य बीमा सुविधाओं से संबंधित योजनाओं तथा आयुष्मान भारत एवं प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) जैसे स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों को शामिल किया जाना चाहिये।
बस्ती-स्तरीय स्वयं सहायता समूह:
शहरी क्षेत्रों में वंचित परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) द्वारा पूर्ण कवरेज देने के प्रयास को मिशन मोड में आगे बढ़ाया जाना चाहिये।
इस प्रक्रिया के साथ ही आजीविका के विविधीकरण के लिये ऋण तक पहुँच सुनिश्चित की जानी चाहिये।
स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) के लिये ऋण की व्यवस्था इस दिशा में बढ़ाया गया प्रशंसनीय कदम है।
#SPJ3