शहरी जीवन के दिखावे ने बच्चो से उनका जीवन छीन लिया है । क्या आप इस कथन से सहमत हैं। अपने विचार लिखिए ।
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शहरी जीवन के दिखावे से ने बच्चों से उनका जीवन छीन लिया है मैं इस बात से बहुत ही ज्यादा सहमत हूं क्योंकि आज का जो समय बच्चे कभी भी घर से बाहर नहीं निकलते उनके अपने कोई मित्र नहीं होते बस अगर मित्र होते भी हैं तो वह फोन के माध्यम से बातें हो जाती हैं बच्चे जैसे पहले बाहर जाया करते थे खेला खुदा करते थे वैसे आज का समय नहीं नहीं किया है अपने घरों में रहना पसंद करता है घर से बाहर जाना उसे अच्छा नहीं लगता अगर वह घर से बाहर जाता भी है तो सिर्फ
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