शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन पर संवाद | Dialogue between Urban Life and village Life | Sahari Jeevan aur Gramin Jeevan par Samvaad
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अभिजीत: नमस्कार मित्र श्वेतांक| तुम शहर कब आये| आशा है गाँव में सब कुशल है|
श्वेतांक: नमस्कार| हाँ मित्र वहां सब कुशल है| मैं दो हफ्ते पहले ही शहर आया| तुम्हें तो ज्ञात है कि गाँव में उच्च माध्यमिक विद्यालय नहीं हैं| मैं आगे के अध्ययन के लिए अब यहीं रहूँगा|
अभि: यह तो अच्छी बात है| कहो कैसा लगा शहरी जीवन| कोई आवश्यकता हो तो अवश्य बताना| मैं तो पन्द्रह वर्ष से यहीं रह रहा हूँ| पर बचपन गाँव में बीता इसलिए वहां की स्मृतियाँ अभी भी मस्तिष्क में सजीव है|
श्वेतांक: क्या कहूं मित्र, मैं तो यहाँ की चकाचौंध में भ्रमित हो गया हूँ| इतना प्रदूषण, ये गगनचुम्बी इमारतें, असंख्य वाहन, विचित्र प्रकार के भोजन और सब लोग अपनी ही धुन में मस्त| कल लगभग दसों लोगों से पोस्ट ऑफिस का पता पूछा| किसी ने नहीं बताया|
अभिजीत: अरे मित्र वक्त की रफ़्तार है| धीरे-धीरे तुम आदी हो जाओगे| यहाँ कोई किसी के काम में दखलंदाजी नहीं करता इसलिए आगे से पता न पूछना सीधे से गूगल पर ढूंढ लेना| क्या गाँव में प्रदूषण नहीं है? बताओ मित्र गाँव में कैसा माहौल रहता है?
श्वेतांक: गाँव में लोगों ने दोपहिया वाहन जरूर खरीद रखे हैं पर वो निरुद्देश्य इधर-उधर नहीं भटकते| वहां हरियाली ज्यादा होने से मौसम खुशनुमा रहता है| गाय-भैंस रखने से शुद्ध दूध, दही और घी मिलता है| लोग बाहर खाना नापसंद करते हैं अत: यहाँ की तरह चाट-पकोड़ी की दुकानें नहीं है| खेतों में उपजी ताज़ा फल-सब्जी से हम सेहतमंद रहते हैं| यहाँ तो मैं घर के शुद्ध खान-पान के लिए तरस गया हूँ|
अभिजीत: क्या गाँव में उचित संसाधनों का अभाव है? क्या मूलभूत सुविधाओं के लिए भी सब तरसते हैं?ये भी बताओ कि अगर वहां शुद्ध वातावरण है तो लोग शहरों को क्यों प्राथमिकता दे रहे हैं?
श्वेतांक: वर्तमान में गाँव में सभी मूलभूत सुविधाएँ मौजूद हैं जैसे सरकारी अस्पताल, केबल व इंटरनेट कनेक्शन, माध्यमिक स्कूल, कृषि उपज मंडी, सहकारी दुग्ध डेरी, सिनेमाघर इत्यादि| पर शहरी चकाचौंध ने किशोरों व युवाओं को आकर्षित किया हैं| इसलिए वो गाँव को नापसंद करने लगे हैं| टी वी, इंटरनेट से सीखकर पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण करने लगे है| उन्हें इसलिए गाँव में दोष और अभाव नजर आते हैं|
अभिजीत: वाह, तुमने तो ग्रामीण जीवन का बहुत सत्य और सुंदर रेखाचित्र खींचा है मित्र| पर तुम शहर में स्वयं को एकाकी न मानना| यहाँ भी अच्छे लोग हैं| शहरी जीवन हमे विकास व उच्च शिक्षा के अवसर देता है| मेरी आवश्यकता हो तो बेहिचक मुझे फोन करना| शुभरात्रि|
Sayed : Good morning, Mahir, you’re going to your villages today, aren’t you? Why don’t you stay days more in Dhaka city?
Mahir : Oh, no I do not feel comfort in Dhaka city. It’s totally boring.
Sayed : What are the things of city life you do not like?
Mahir : I think life in the city is very artificial. It’s full of business and separation. People lead a very busy life in polluted area. They wake up from sleep in the morning hearing the sounds of motor vehicles, machines and factories.
Sayed : You are right. But there are many modern facilities you can have in city life. In cities there are many good educational institutions, hospitals and clinics. There’re also many recreational places in the city. It’s often easier to find work here.
Mahir : That’s true, but I think life in the village is far better than of city life. Village life is quite natural and the people in the village lead a very simple life. They wake up from sleep in the morning hearing the
melodious songs birds. They can take fresh food, fruits, fishes, meat and vegetable. Similarly, the villagers are cooperative as well as helpful. The environment of the village is totally pollution free. You can get the scenery of green field and meadows.
Sayed : But village life is not without its disadvantages. Disease, hunger malnutrition poverty is common in the life of the villagers.
Mahir : Actually both the lives have their advantages and disadvantages. A balanced development can remove the gap between two types of life.
Sayed : I agree with you.
Mahir : Thanks a lot and you are highly invited in our village.
Sayed : Oh sure. I hope I will visit your house during the next holiday. Good- bye.