शहर मे लोगो भीड बनने का कारण क्या है
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पहली बात तो यह है कि शहरीकरण अपरिहार्य है। इसे टाला नहीं जा सकता। दो सौ साल पहले सौ में से सिर्फ तीन आदमी ही शहरी बस्तियों में रहते थे। आज आधा विश्व शहरों में बसता है। पूरे विश्व में आज हर दो में से एक आदमी शहर या कस्बे में रहता है। विकसित देशों में यह अनुपात कहीं ज्यादा है। अमेरिका में दस में से आठ आदमी और पश्चिम यूरोप में दस में से नौ आदमी शहरों में रहते हैं।
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दूसरी बात यह है कि शहरीकरण से व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की आमदनी बढ़ती है। ग्रामीण काम की तुलना में शहरी काम में अधिक उत्पादकता है और इसके फलस्वरूप इसकी मजदूरी भी अधिक होती है। भले ही आपके पास डिग्री हो या प्राथमिक विद्यालय की स्कूली शिक्षा, समान रूप से दक्ष कारीगर शहरी बस्तियों में कारखानों, दफ्तरों, दुकानों या फिर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था से जुड़े काम-धंधों में भी गांव की तुलना में निश्चित रूप से अधिक ही कमाते हैं।
तीसरी बात यह है कि शहरीकरण राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक विकास से जुड़ा हुआ है। पिछली जनगणना के समय भारत की केवल 28 प्रतिशत आबादी शहरी बस्तियों में रहती थी। भारत में शहरीकरण के निम्न स्तर के कारण ही समग्र रूप में पूरे विश्व का आज भी बहुत अधिक शहरीकरण नहीं हो पाया है। परंतु आज भारत की शहरी आबादी ग्रामीण आबादी की तुलना में कहीं अधिक तेजी से बढ़ रही है। मान्यता यह है कि 2030 तक भारत में शहरीकरण के स्तर में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी।
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