'शहरों में पेयजल समस्या' विषय पर एक फीचर लिखिए।
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'शहरों में पेयजल समस्या' (फीचर)
शहरों में पेयजल समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। शहरों का कंक्रीटीकरण होने के कारण कच्ची भूमि निरंतर कम होती जा रही है, जिससे हरियाली निरंतर कम होती जा रही है, जो मौसम के बदलाव लिये जिम्मेदार है।
जो शहर नदियों के किनारे बसे हैं, उन नदियों में औद्योगिक कारखानों द्वारा अपविष्ट प्रवाहित किये जाने के कारण नदियां प्रदूषित हो चली हैं और उनका जल भी पीने योग्य नहीं रह गया है। पानी के अन्य प्राकृतिक स्रोत जैसे कि झील, तालाब, नहर, भूमिगत जल आदि निरंतर सूखते जा रहे हैं, अथवा समाप्त हो चले हैं और पानी के संकट को बढ़ा रहे हैं।
भारत के गाँवों में रोजगार की कमी के कारण लोग शहरों की तरफ पलायन कर गए हैं और शहरों की आबादी निरंतर बढ़ रही है। आबादी के अनुपात में पेयजल के स्रोत और साधन नहीं बढ़ रहे, जिससे पेयजल समस्या बढ़ती ही जा रही है। मुख्यतः शहरों की गरीब बस्तियों में पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है।
इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक है कि एक विस्तृत योजना तैयार की जाए। लोगों में पानी को बचाने के प्रति जागरूकता पैदा की जाए। नदियों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए। शहर में कंक्रीटीकरण की एक सीमा निर्धारित की जाये ताकि बाग-बगीचे, पार्क,खेत आदि के रूप में भूमि पर्याप्त उपलब्ध रहे और जलस्तर नीचे न गिरे।
पानी के नये-नये स्रोत को खोजकर और उचित उपायों द्वारा जल संरक्षण करके ही इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
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