Hindi, asked by anchalvermaa, 3 months ago

शहरी विकास की चुनौतियां पर आलेख लिखिए ​

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Answered by vaishnavithorave
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शहरीकरण अपने आप में कभी समाप्त न होकर निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और विभिन्न नीतियों में समय-समय पर बदलाव आदि के कारण और आर्थिक तथा ढांचागत साधनों की आसानी से उपलब्धता नहीं होने के कारण भी इस प्रकार की परियोजनाओं को लागू करने में देरी होती है।शहर हमेशा से ही आकर्षक रहे हैं। हर आदमी शहर में जाकर बसना चाहता है। आखिर शहरों में ऐसा क्या है जो गांवों में नहीं है? कहा जाता है कि आधुनिकीकरण के प्रति आकर्षण, उच्च शिक्षा, रोजगार की उपलब्धता, चिकित्सा सुविधाओं आदि के कारण हर कोई शहरों में रहना चाहता है। जहां एक ओर शहरों का अपना आकर्षण है, वहीं दूसरी ओर शहरों की अपनी गंभीर समस्याएं भी हैं, जैसे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, बढ़ती भीड़, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का घोर अभाव, बुनियादी सेवाओं का खस्ताहाल ढांचा आदि। इन समस्याओं से शहरों का विकास पीछे छूट गया है, वे तेजी से नरक बनते जा रहे हैं। शहरीकरण की सबसे बड़ी समस्या है कि एक कम क्षेत्र में अधिक से अधिक आबादी का रहना, जिसके लिए शहर में जगह समाप्त होती जा रही है। एक के ऊपर एक भवन बन कर तैयार होते हैं, लेकिन गांवों जैसा शुद्ध वातावरण फिर भी नदारद रहता है। प्रसिद्ध समाज शास्त्री राबर्ट रेडफील्ड मानते हैं कि शहरी समाज की विशेषताओं में प्रमुख रूप से वृहद जनसंख्या होती है और साथ ही उसका दूसरे समाजों से व्यापार और संचार के माध्यम से निकट का संबंध होता है, उसमें एक जटिल श्रम-विभाजन भी होता है।

इसके आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि शहरों में प्रारंभ से ही भीड़-भाड़ रही है। धीरे-धीरे ज्यादातर गांव और कस्बे भी शहरों का रूप धारण करते जा रहे हैं। चौड़ी सड़कें, बहुमंजिला इमारतें, बड़े-बड़े बाजार, आधुनिक यातायात सुविधाएं, उद्योग-धंधे, आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल, शिक्षण-संस्थान आदि किसी भी शहर की विशेषता हैं। लेकिन दूसरी ओर गांवों और कस्बों में छोटी-छोटी दुकानें, पालतू पशु, कच्चे-पक्के घर, खेत-खलिहान, कुएं और नहरें आदि उपलब्ध हैं। यदि तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तब अंतर तो साफ दिखाई देता है। लेकिन, शहर हो या गांव, दोनों ही भारत की अर्थव्यवस्था के मुख्य अंग हैं और दोनों का ही अपना-अपना महत्त्व है।विज्ञान के साधनों ने आज व्यक्ति के जीवन को बहुत आसान बना दिया है। बहुत सारा काम मशीनों से होने लगा है। यह शहरीकरण का ही नतीजा है कि आज का बचपन जल्दी किशोरावस्था और किशोरावस्था शीघ्र ही युवावस्था की ओर अग्रसर है। संचार साधनों में नित्य-प्रति नई क्रांति देखने को मिल रही है। रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्रों आदि के साथ-साथ सोशल मीडिया भी आज आसानी से उपलब्ध है। गांवों में थोड़े भी पढ़े-लिखे युवा खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। बिजली, पानी, लकड़ी, लोहा, कुटीर उद्योग आदि में महारत हासिल करने के लिए हर युवा शहर की ओर भागता नजर आता है। गांव में कमाई के साधन बहुत कम होते हैं और आमदनी कम होने के कारण बहुत से लोग आत्मनिर्भर नहीं बन पाते। ऐसे में गांव के मेहनतकश लोग न चाहते हुए भी रोजगार की तलाश में शहर आते हैं और फिर वहीं बस जाते हैं।अंतत: यह कहा जा सकता है कि विश्व की अर्थव्यवस्था में भी अपना दबदबा बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि शहरीकरण में वृद्धि हो। उद्योग-धंधे और सेवा क्षेत्र दोनों का विकास आवश्यक है। सरकारी नीतियों को समयबद्ध तरीके से लागू करने और ढांचागत परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा करने के लिए गंभीर चिंतन होना चाहिए। जनता की भागीदारी और सरकार के समन्वित प्रयासों से सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए वृहदस्तरीय परिवर्तनों से शहरीकरण की परियोजनाओं को आगे बढ़ाना होगा ताकि हमारा देश भी विश्व के विकसित राष्ट्रों में शामिल हो सके।

Answered by kaushikaditya38
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