History, asked by rknair6010, 10 months ago

शक राजा रुद्रदमन एक महान शासक था।"" समझाइए।

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Answered by Anonymous
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दक्षिण-पश्चिम के क्षत्रप शासकों में रुद्रदामन् का नाम विशेषतया उल्लेखनीय है। इन शासकों के वैदेशिक होने में संदेह नहीं है, पर 'रुद्रदामन्', 'रुद्रसेन', 'विजयसेन' आदि नामों से प्रतीत होता है कि वे पूर्णतया भारतीय बन गए थे। इसकी पुष्टि उन लेखों से होती है जिनमें इनके द्वारा दिए गए दानों का उल्लेख है। जूनागढ़ के शक संवत् ७२ के लेख से यह विदित होता है कि जनता ने अपनी रक्षा के लिए रुद्रदामन् को महाक्षत्रप पद पर आसीन किया। यह संभव है कि शातकर्णि राजा गोतमीपुत्र के आक्रमण से शकों को बड़ी क्षति पहुँची और वंश की प्रतिष्ठा को उठाने के लिए यह प्रयास किया गया हो। रुद्रदामन ने जनता के अपने प्रति विश्वास का पूर्ण परिचय दिया, जैसा उक्त लेख में उसकी विजयों से प्रतीत होता है। उसने अपने पितामह चष्टन के साथ संयुक्त रूप से राज्य किया था। गौतमीपुत्र शातकर्णि ने शक, यवन तथा पल्हवों का हराया था तथा क्षहरातवंश का उन्मूलन किया था। चष्टन ने क्षति की पूर्ति के लिए मालवों पर विजय प्राप्त की और उज्जयिनी को अपनी राजधानी बनाया। अंधौ लेख के अनुसार शक सं. ५२ में रुद्रदामन् जब अपने पितामह चष्टन के साथ संयुक्त रूप से राज्य कर रहा था उस समय उसका पिता जयदामन् मर चुका था। सं. ५२ और ७२ के बीच रुद्रदामन् ने उन भागों को जीता जिनपर अंध्र शातवाहन शासक गौतमीपुत्र ने पहले अधिकार कर लिया था। इनका क्रमश: उल्लेख उसके जूनागढ़ के लेख में मिलता है। उसने दो बार दक्षिणपति शातकर्णि को पराजित किया पर निकट संबंधी होने के कारण उसका नाश नहीं किया। इस शासक की समानता वाशिष्टीपुत्र श्री शातकर्णि पुत्र पुलुमाइ से की गई है। इसकी सम्राज्ञी, कणेहरी से प्राप्त एक लेख के अनुसार, महक्षत्रप रुद्र (रुद्रदामन्) की पुत्री थी।

जूनागढ़ के लेख में रुद्रदामन् के चौधेयों के साथ युत्र का भी उल्लेख है पर उनके नष्ट होने का प्रमाण नहीं मिलता। इस लेख में इस शासक के प्रशासक कार्यों का भी विवरण है। चन्द्रगुप्त मौर्यकालीन सुदर्शन झील का बाँध भीषण वर्षा के कारण टूट जाने का भी उल्लेख है। रुद्रदामन् के समय में इसकी मरम्मत हुई थी। शक शासक स्वयं बड़ा विद्वान् था और वह विभिन्न विज्ञान, व्याकरण, न्याय, संगीत इत्यादि में पारंगत था। जनता के हित का उसे सदैव ही ध्यान रहता था और इसीलिए उसके शासन में विष्टि (बेगार) तथा प्रव्य (बिना वेतन के कार्य करवाने) इत्यादि की प्रथा न थी। मतिसचिव तथा कर्मसचिव नामक दो प्रकार के पदाधिकारी उसने नियुक्त किए थे।

Answered by jitendrakumar42015
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रुद्रदमन एक महान शासक

स्पष्टीकरण:

  • रुद्रदामन पश्चिमी शक वंश का शक शासक था। वह राजा चस्ताना का पोता था। रुद्रदामन सातवाहन साम्राज्य के पतन में सहायक था। रुद्रदामन ने राजा बनने के बाद महा-क्षत्रप ("महान शक") की उपाधि धारण की और फिर अपने राज्य को मजबूत किया।
  • उन्होंने सातवाहनों के साथ वैवाहिक संबंधों को बनाए रखा और वानरतिपुत्र सातकर्णी, उनके दामाद और गौतमीपुत्र सातकर्णी के छोटे बेटे, दहेज के रूप में वानरपति देश को जीत लिया। वैवाहिक कड़ी के बावजूद, उनके बीच कम से कम दो युद्ध हुए, जिसमें उन्होंने सातवाहन को हराया लेकिन सतकर्णी (संभवतः वशिष्ठपुत्र सातकर्णी) के जीवन को बख्श दिया, अनिवार्य रूप से उनके संबंधों के कारण
  • संस्कृत जूनागढ़ शिलालेख ने 150 CE रुद्रदामन को सांस्कृतिक कलाओं और संस्कृत साहित्य का समर्थन करने और मौर्यों द्वारा निर्मित बांध की मरम्मत करने का श्रेय दिया।
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