Hindi, asked by jasijaskm6639, 1 year ago

शक्ति और क्शमा में कौन किसको समझा रहा है

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Answered by aryankunalroy38
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शक्ति और क्षमा

क्षमा, दया , ताप , त्याग , मनोबल सबका लिया सहारा

पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा?

क्षमाशील हो ॠपु-सक्षम तुम हुए विनीत जितना ही

दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही

अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है

पौरुष का आतंक मनुज कोमल होकर खोता है

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल है

उसका क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल है

तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिन्धु किनारे

बैठे पढते रहे छंद अनुनय के प्यारे प्यारे

उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से

उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से

सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में

चरण पूज दासता ग्र्र्हन की बंधा मूढ़ बंधन में

सच पूछो तो शर में ही बस्ती है दीप्ति विनय की

संधिवचन संपूज्य उसीका जिसमे शक्ति विजय की

सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है

बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है

-राम धरी सिंह दिनकर -

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