Hindi, asked by parneshwari, 1 year ago

shalendra kumar poems in hindi​

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Answered by ayushi8462
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ग़म की बदली में चमकता एक सितारा है

आज अपना हो न हो पर कल हमारा है

धमकी ग़ैरों की नहीं अपना सहारा है

आज अपना हो न हो पर कल हमारा है

ग़र्दिशों से से हारकर ओ बैठने वाले

तुझको ख़बर क्या अपने पैरों में भी छाले हैंपर नहीं रुकते कि मंज़िल ने पुकारा है

आज अपना हो न हो पर कल हमारा है

ये क़दम ऐसे जो सागर पाट देते हैं

ये वो धाराएँ हैं जो पर्वत काट देते हैं

स्वर्ग उन हाथों ने धरती पर उतारा है

आज अपना हो न हो पर कल हमारा है

सच है डूबा-सा है दिल जब तक अन्धेरा है

इस रात के उस पार लेकिन फिर सवेरा है

हर समन्दर का कहीं पर तो किनारा है

आज अपना हो न हो पर कल हमारा है

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