शराब-बंदी - पर निबंध लिखें
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जो लोग शराबखोरी के पक्षधर हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि शराबबंदी से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, तो वह फिर क्यों इतनी चिन्ता कर रहे हैं, और क्यों परेशान होकर अपनी जान हलकान कर रहे हैं । प्रत्येक समाज सुधार को कानून से करने का प्रयास मूलत: फासिस्ट प्रवृत्ति का द्योतक है ।
जो लोग शराबखोरी के पक्षधर हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि शराबबंदी से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, तो वह फिर क्यों इतनी चिन्ता कर रहे हैं, और क्यों परेशान होकर अपनी जान हलकान कर रहे हैं । प्रत्येक समाज सुधार को कानून से करने का प्रयास मूलत: फासिस्ट प्रवृत्ति का द्योतक है ।जबकि सत्य यह है कि कानून के बल पर शराबबंदी कहीं पर भी सफल नहीं हुई है । चिन्तनात्मक विकास: सम्पूर्ण शराबबंदी एक अव्यावहारिक कल्पना है । शराब के कुप्रभाव से इनार नहीं किया जा सकता । शराब निर्माताओं व सत्ता प्रतिष्ठान की सोची-विचारी साजिश के तहत शहरी और कराई लोगों के बीच शराब का प्रचार होता रहा है ।
जो लोग शराबखोरी के पक्षधर हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि शराबबंदी से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, तो वह फिर क्यों इतनी चिन्ता कर रहे हैं, और क्यों परेशान होकर अपनी जान हलकान कर रहे हैं । प्रत्येक समाज सुधार को कानून से करने का प्रयास मूलत: फासिस्ट प्रवृत्ति का द्योतक है ।जबकि सत्य यह है कि कानून के बल पर शराबबंदी कहीं पर भी सफल नहीं हुई है । चिन्तनात्मक विकास: सम्पूर्ण शराबबंदी एक अव्यावहारिक कल्पना है । शराब के कुप्रभाव से इनार नहीं किया जा सकता । शराब निर्माताओं व सत्ता प्रतिष्ठान की सोची-विचारी साजिश के तहत शहरी और कराई लोगों के बीच शराब का प्रचार होता रहा है ।इसके अंधाधुंध प्रचार व प्रसार ने असामाजिक व अपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया है । यह सत्य है कि शराब और अपराध एक-दूसरे के पूरक हैं । दुर्भाग्य से शराब की लत से सबसे ज्यादा गरीब और कमजोर तबके प्रभावित होते हैं । जो पैसे वाले है या प्रभावशाली अधिकारी, उद्योगपति या राजनेता हैं उन पर कोई असर नहीं होता ।
जो लोग शराबखोरी के पक्षधर हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि शराबबंदी से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, तो वह फिर क्यों इतनी चिन्ता कर रहे हैं, और क्यों परेशान होकर अपनी जान हलकान कर रहे हैं । प्रत्येक समाज सुधार को कानून से करने का प्रयास मूलत: फासिस्ट प्रवृत्ति का द्योतक है ।जबकि सत्य यह है कि कानून के बल पर शराबबंदी कहीं पर भी सफल नहीं हुई है । चिन्तनात्मक विकास: सम्पूर्ण शराबबंदी एक अव्यावहारिक कल्पना है । शराब के कुप्रभाव से इनार नहीं किया जा सकता । शराब निर्माताओं व सत्ता प्रतिष्ठान की सोची-विचारी साजिश के तहत शहरी और कराई लोगों के बीच शराब का प्रचार होता रहा है ।इसके अंधाधुंध प्रचार व प्रसार ने असामाजिक व अपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया है । यह सत्य है कि शराब और अपराध एक-दूसरे के पूरक हैं । दुर्भाग्य से शराब की लत से सबसे ज्यादा गरीब और कमजोर तबके प्रभावित होते हैं । जो पैसे वाले है या प्रभावशाली अधिकारी, उद्योगपति या राजनेता हैं उन पर कोई असर नहीं होता ।पूर्ण नशाबंदी के लिए कई राज्यों में प्रयास हो रहे हैं । खासकर महिलाएं इस क्षेत्र र्मे ज्यादा सक्रिय हैं । कुछ राज्यों में नशाबंदी लागू की गई है । परन्तु, कई राज्यों में अब भी कार्यक्रम सफल नहीं हुआ है । एक तरफ शराबबंदी के लिए जोरदार प्रयास जारी हैं तो दूसरी तरफ सत्ता तन्त्र राजस्व के मोह व शराब के ठेकेदारों की गिरफ्त में इस कदर जकड़ा हुआ है कि वह तर्क या सामाजिक कल्याण की बातों के प्रति संवेदनाशून्य बना हुआ है ।
जो लोग शराबखोरी के पक्षधर हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि शराबबंदी से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, तो वह फिर क्यों इतनी चिन्ता कर रहे हैं, और क्यों परेशान होकर अपनी जान हलकान कर रहे हैं । प्रत्येक समाज सुधार को कानून से करने का प्रयास मूलत: फासिस्ट प्रवृत्ति का द्योतक है ।जबकि सत्य यह है कि कानून के बल पर शराबबंदी कहीं पर भी सफल नहीं हुई है । चिन्तनात्मक विकास: सम्पूर्ण शराबबंदी एक अव्यावहारिक कल्पना है । शराब के कुप्रभाव से इनार नहीं किया जा सकता । शराब निर्माताओं व सत्ता प्रतिष्ठान की सोची-विचारी साजिश के तहत शहरी और कराई लोगों के बीच शराब का प्रचार होता रहा है ।इसके अंधाधुंध प्रचार व प्रसार ने असामाजिक व अपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया है । यह सत्य है कि शराब और अपराध एक-दूसरे के पूरक हैं । दुर्भाग्य से शराब की लत से सबसे ज्यादा गरीब और कमजोर तबके प्रभावित होते हैं । जो पैसे वाले है या प्रभावशाली अधिकारी, उद्योगपति या राजनेता हैं उन पर कोई असर नहीं होता ।पूर्ण नशाबंदी के लिए कई राज्यों में प्रयास हो रहे हैं । खासकर महिलाएं इस क्षेत्र र्मे ज्यादा सक्रिय हैं । कुछ राज्यों में नशाबंदी लागू की गई है । परन्तु, कई राज्यों में अब भी कार्यक्रम सफल नहीं हुआ है । एक तरफ शराबबंदी के लिए जोरदार प्रयास जारी हैं तो दूसरी तरफ सत्ता तन्त्र राजस्व के मोह व शराब के ठेकेदारों की गिरफ्त में इस कदर जकड़ा हुआ है कि वह तर्क या सामाजिक कल्याण की बातों के प्रति संवेदनाशून्य बना हुआ है ।आजादी के 50 साल बाद भी सरकार सफलतापूर्वक शराबबंदी लागू नहीं कर सकी है । शराबबंदी के खिलाफ राजस्व के घाटे का हौवा दिखाया जाता है तो कभी आमदनी बढ़ने से विकास की गति तीब्र होने का लालच दिया जाता ह
Answer:
शराब इंसानों के स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत खतरनाक है। शराबबंदी बहुत जरूरी है।
Explanation:
आज हम आधुनिक समय में जी रहे हैं और अगर आप इस समय के साथ नहीं गए तो पिछड़ जाएंगे। फिर चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या नौकरी में या उसकी प्रतिष्ठा या सामाजिक स्थिति में। आजकल इस समाज के लोगों में, जिन्हें हम आधुनिक भी कहते हैं, कुछ ऐसी आदतों का चलन है जो लोगों में बहुत तेजी से फैल रही हैं। इन्हीं में से एक है शराब पीने की आदत, जो पहले से ही युवाओं को अपनी चपेट में ले चुकी है, इसके अलावा यह बड़ों के बीच काफी लोकप्रिय है।
चाहे कोई भी अवसर हो, चाहे कोई उत्सव हो, या जन्मदिन, या शादी, यहां तक कि किसी प्रकार का मिलन समारोह भी शराब के बिना अधूरा है। खास बात यह है कि अगर आप इस कैटेगरी में शामिल नहीं होते हैं तो आप हीन भावना से ग्रसित नजर आते हैं। साथ ही उस ग्रुप में रहकर आप पूरी तरह से अकेले हो जाते हैं, जो कई बार आपको खुद को शर्मिंदा करने वाला भी लगता है। कई लोग इसे शौक के तौर पर अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं तो कई लोग इसे खाने में आनंद की अनुभूति करते हैं।
शराब मानव अस्तित्व की महान पहेली में से एक है। यह आपके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण को उत्तरोत्तर नष्ट करते हुए आपको बहुत अच्छा महसूस कराता है। यह आपके स्वास्थ्य के लिए नशे की लत और विनाशकारी है। हालांकि जिम्मेदारी से पीना संभव है, फिर भी पदार्थ का आप पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है और इससे शराब का दुरुपयोग हो सकता है। और क्लच? शराब अत्यधिक नशे की लत है और शराब की समस्या व्यक्ति और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण संकट का कारण बनती है। दुनिया भर में 107 मिलियन से अधिक लोग शराब की लत से प्रभावित हैं।
यह केवल सरकार की ही नहीं बल्कि हमारी और इस समाज की भी जिम्मेदारी है कि लोगों को शराब का सेवन न करने के लिए प्रेरित किया जाए और शराब पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिक से अधिक प्रयास किए जाएं। क्योंकि अगर कोई इस संबंध में बदलाव ला सकता है, तो वह हम खुद हैं।