Hindi, asked by sayandepatra60981, 1 month ago

शरीर की क्षणभंगुरता हेतु कबीर ने शरीर की उपमा किससे और क्यों दी है

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Answered by shishir303
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¿ शरीर की क्षणभंगुरता हेतु कबीर ने शरीर की उपमा किससे और क्यों दी है ?

➲ शरीर की क्षणभंगुरता हेतु कबीर ने शरीर की उपमा पानी के बुलबुले और भोर के तारे से की है, क्योंकि जिस तरह पानी का बुलबुला थोड़े समय के लिए बनता है और तुरंत फूट जाता है, जिस तरह भोर का तारा थोड़े समय के लिये प्रकट होता है, उसी तरह शरीर भी नश्वर है, यह कुछ समय के लिए बना है और इसे नष्ट हो जाना है।

कबीर कहते हैं...

पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात ।

देखत ही छिपि जावेगी, ज्यों तारा परप्रभात ।

अर्थात कबीरदास कहते हैं कि मनुष्य का जीवन पानी के बुलबुले के समान ही क्षणभंगुर और नश्वर है। यह जीवन यह शरीर कब समाप्त हो जाए कुछ भी कहा नहीं जा सकता। जिस तरह भोर का तारा देखते-देखते छुप जाता है, पानी का बुलबुला बनकर टूट जाता है उसी तरह मनुष्य का शरीर भी भोर के तारे और पानी के बुलबुले की भांति अस्थायी है।

 

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संत कबीर ने जगत को कैसा बताया?

A. सच्चा

B. बौराना

C. झूठा

D. ज्ञानी

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