शरीराशयासजनने कर्म व्यायामसतिता ।
तत्कृत्वा तु सुखं दहं विमृद्नीयात् समन्ततहरा translate to hindi
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जब कि ऐसी बात है इसलिये तू आसक्तिरहित होकर कर्तव्य नित्यकर्मोंका सदा भलीभाँति आचरण किया कर। क्योंकिअनासक्त होकर कर्म करनेवाला अर्थात् ईश्वरार्थ कर्म करता हुआ पुरुष अन्तःकरणकी शुद्धिद्वारा मोक्षरूप परमपद पा लेता है।
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