Hindi, asked by asfiyakhatoon9619, 1 month ago

शरद / शारदा पाटील , 27, विश्वास नगर, अकोला से अनमोल
प्रकाशन, पुणे - 11 को पत्र लिखकर पुस्तकों की माँग करता / करती है।​

Answers

Answered by amarjyotijyoti87
10

Answer:

प्रतिष्ठा में

प्रबंधक

विक्रय विभाग

हिंदी बुक सेंटर

दरियागंज

नई दिल्ली-110002

विषय : हिंदी पुस्तकें मँगवाने हेतु।

महोदय,

कृपया निम्नलिखित पस्त शीघातिशीघ्र नीचे लिखे पते पर वी.पी.पी. द्वारा भेजने का कष्ट करें। इस पत्र के साथ रूपये 200 का ड्राफ़्ट अग्रिम राशि के रूप में भेज रही हूँ।

इस बात का ध्यान रखें कि पुस्तकें नवीन संस्करण की हों, कटी-फटी न हों तथा उचित कमीशन काटा गया हो। यदि इनमें से कुछ पुस्तकें उपलब्ध न हों, तो लौटती डाक से इसकी सूचना भेजने का कष्ट करें।

धन्यवाद

भवदीय

तृप्ति सक्सेना

332/4 रोहिणी

नई दिल्ली

दिनांक : 8.3. 20

Answered by jasvindarsinghkuttan
34

Explanation:

कोरोना वायरस को लेकर दो मित्रों के बीच संवाद

(कोरोना वायरस को लेकर दो मित्रों अजय और मदन के बीच संवाद हो रहा है)

अजय : यार, यह कोरोनावायरस का प्रकोप तो बहुत ज्यादा फैल गया है, मुझे तो बड़ा डर लग रहा है।

मदन : हाँ, डरने की तो बात ही है। यह ऐसी महामारी है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है। ऐसे में इस बीमारी से डरने वाली बात स्वभाविक है।

अजय : अब क्या होगा?

मदन : भले ही इसका इलाज नहीं है, लेकिन हम इस वायरस के संक्रमण को फैलने से तो बचा ही जा सकता हैं। किसी भी रोग को होने की नौबत ना आने देना यानि रोग से बचाव भी एक अच्छा उपाय है।

अजय :  इसी कारण हमारे देश की सरकार ने लॉक डाउन किया था ताकि संक्रमण पूरे देश में ना फैल सके।

मदन : बिल्कुल सही हमारे देश में ही नहीं विश्व के अनेक देशों में लॉकडाउन चल रहा है। हालांकि कुछ देशों ने देर से लॉकडाउन आरंभ किया, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।

अजय : परन्तु हमारे देश में तो एकदम सही समय पर लॉकडाउन का निर्णय ले लिया गया था।

मदन : बिल्कुल सही इसी कारण आज हमारे देश में कोरोना महामारी का संक्रमण इतने बड़े स्तर पर नहीं फैल पाया। लॉकडाउन करने का लाभ हुआ।

मदन : हां यही कामना है कि जल्दी से जल्दी यह बीमारी न केवल हमारे देश से बल्कि पूरे विश्व से समाप्त हो जाए ताकि हम लोग अपनी पहले वाली जिंदगी सकें और सब कुछ पहले की तरह ठीक हो जाए।

अजय : हाँ, हम अपने मकसद में कामयाब होंगे और कोरोना को हराकर ही दम लेंगे। मदन : हाँ, बिल्कुल! हम जरूर कामयाब होंगे।

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