शत्रुघ्न -मंथरा के बीच संवाद lekhen
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शत्रुघ्न-- मंथरा तुमने यह सब क्या किया
मंथरा-- मैंने क्या किया?
शत्रुघ्न--तुम्हारे कुटनीतिज्ञ चाल के वजह से आज मेरे भ्राता और भाभी को वनवास काटना पड़ा।
मंथरा-- मेरी वजह से
शत्रुघ्न-- हां, तुमने ही माता कैकेई को उकसाकर भरत भईया को राजपाठ दिलवाने का और राम भैया को वनवास दिलवाने के लिए हमारे पिताजी को उकसाया है।
मंथरा-- मैंने जो किया सही किया।
शत्रुघ्न-- तुमने सीता जैसी बड़े घर से आई राजकुमारी को जंगल की रानी बनाया। हमारे परिवार को विच्छिन्न कर दिया और कहा रही हो सही किया। एक स्त्री होकर दूसरी स्त्री के साथ नाइंसाफी की तुमने।
मंथरा--शत्रुघ्न ज्यादा बोलो नहीं।
शत्रुघ्न-- बोलूंगा
मंथरा-- मैंने क्या किया?
शत्रुघ्न--तुम्हारे कुटनीतिज्ञ चाल के वजह से आज मेरे भ्राता और भाभी को वनवास काटना पड़ा।
मंथरा-- मेरी वजह से
शत्रुघ्न-- हां, तुमने ही माता कैकेई को उकसाकर भरत भईया को राजपाठ दिलवाने का और राम भैया को वनवास दिलवाने के लिए हमारे पिताजी को उकसाया है।
मंथरा-- मैंने जो किया सही किया।
शत्रुघ्न-- तुमने सीता जैसी बड़े घर से आई राजकुमारी को जंगल की रानी बनाया। हमारे परिवार को विच्छिन्न कर दिया और कहा रही हो सही किया। एक स्त्री होकर दूसरी स्त्री के साथ नाइंसाफी की तुमने।
मंथरा--शत्रुघ्न ज्यादा बोलो नहीं।
शत्रुघ्न-- बोलूंगा
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