History, asked by tanveermulani5308, 1 month ago

शता शेतीचे व्याणीकरण >​

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Answered by BrutalMaster
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हमेशा सत्य और प्रिय बोले

वाणी मूर्खो की समझ में नहीं आती और अधिक बोलना विद्वानों को उद्विगन करता है । सत्य बोलें , प्रिय बोलें , किन्तु अप्रिय सत्य न बोलें । किसी साथ व्यर्थ वैर और शुष्क विवाद न करें । जो अपने मुख और जिह्वा पर संयम रखता है , वह अपनी आत्मा को सन्तापों से बचाता है ।

Answered by anjelinadebbarma1
1

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हमेशा सत्य और प्रिय बोले

वाणी मूर्खो की समझ में नहीं आती और अधिक बोलना विद्वानों को उद्विगन करता है । सत्य बोलें , प्रिय बोलें , किन्तु अप्रिय सत्य न बोलें । किसी साथ व्यर्थ वैर और शुष्क विवाद न करें । जो अपने मुख और जिह्वा पर संयम रखता है , वह अपनी आत्मा को सन्तापों से बचाता है ।

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