शतपथ ब्राहण में प्रतिपादित ‘ वाक्मनससम्वाद’ केा अपने शब्दो में लिखिए।
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शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मणग्रन्थ है। समस्त ब्राह्मण-ग्रन्थों के मध्य शतपथ ब्राह्मण सर्वाधिक बृहत्काय है। ब्राह्मण ग्रन्थों में इसे सर्वाधिक प्रमाणिक माना जाता है। शतपथ ब्राह्मण के आदि उपदेष्टा महर्षि याज्ञवल्क्य थे। इसमें सौ अध्याय तथा १४ काण्ड हैं। सौ अध्याय होने से ही सम्भवतः इसका शपतथ नाम पड़ा है। इसमें दर्शपौर्ण मास आदि सभी श्रौत यज्ञों के विधि विधानों की विस्तृत व्याख्या की गई है तथा यजुर्वेद को इस ब्राह्मण के ज्ञान के बिना समझना असम्भव ही है। इसके अन्तिम भाग का नाम ही वृहदारण्यक उपनिषद है जिसमें ब्रह्म विद्या का विशद् वर्णन है। यह यजुर्वेद का एक प्रकार का प्राचीन भाष्य है जो ज्ञान विज्ञान की सभी विधाओं को अपने अन्दर समेटे हुए है।
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