शतरंज के खिलाड़ी se hume kya seekh milti h
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शतरंज के खिलाड़ी" मुंशी प्रेमचंद की लिखी हुई कहानी है,जिसकी रचना उन्होंने 1924 में की थी।
यह कहानी वाजिद अलीशाह जिनका शासनकाल (1847- 1856) तक लखनऊ में था,उस समय के समाज का चित्रण है।
यह कहानी पतनशील समाज का चित्रण करती है। लखनऊ के लोग घोर विलासिता में डूबे रहते हैं। कहानी का केन्द्र समाज का ऊपरी तबका है। उस समय देश और दुनिया में क्या हो रहा है ;उससे लोगों को फर्क नहीं पड़ता है। भोग विलास में डूबा हुआ यह शहर सामाजिक चेतना से शून्य है। इस कहानी में ऊँचे वर्ग की दिग्भ्रमित मानसिकता का चित्रण है। अंग्रेजो द्वारा बंदी बनाए गए राजा की चिन्ता उनके जागीरदारों को नहीं होती है और शतरंज के खेल में अपनी जान दे देते हैं।
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