शतरंज पर एक अनुच्छेद हिंदी में
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छठवीं शताब्दी में भारत में पारसियों के आने के बाद इस खेल को 'शतरंज' कहा जाने लगा। तो वहीं यह खेल ईरानियों के जरिये जब यूरोप पहुंचा तो इसे 'चेस' नाम मिला। इस खेल में 64 खाने बने होते हैं तथा इसे 2 लोगों के खेलने के लिये बनाया गया था। ... यह एक बेहतरीन खेल है और हर मुहरे के कुछ निर्धारित चाल हैं, जिसके आधार पर सब चलते हैं।
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वैसे तो हम सब बहुत से खेल जानते हैं और खेलते आए हैं, परंतु शतरंज एक ऐसा खेल है जिसे हर आयु और क्षेत्र के लोग बड़े रुचि के साथ खेलते आए हैं। शतरंज एक बेहतरीन खेल है और इसकी शुरूआत भारत में माना जाता है।
शतरंज के कुछ नियम
हर खेल को खेलने के कुछ नियम व तरीके होते हैं, जिसके आधार पर हम कोई भी खेलते हैं। शतरंज एक चौकोर तख्त पर खेला जाता है जिसपर काले और सफेद रंग के 64 खाने बने होते हैं। इसे एक बार में दो लोग खेल सकते हैं और इस खेल में ढेर सारे मोहरें होते हैं जैसे कि, हाथी, घोड़े, राजा, ऊंट, आदी। इन सब की चालें भी पूर्व निर्धारित होती हैं जैसे कि-
राजा – जो कि इस खेल का बहुत ही अहम भाग होता है और यह किसी भी दिशा में केवल एक कदम चलता है।
घोड़ा – घोड़ा किसी भी दिशा में 2½ कदम चलता है।
सिपाही – यह सदैव आगे कि ओर चलता है कभी पीछे नहीं हटता। और सामान्यतः यह एक कदम सीधा चलता है परंतु परिस्थिति के अनुसार इसके चाल में परिवर्तन आ जाता है जैसे कि किसी को काटना हो तो तिरछे भी चल सकता है।
बिशप (ऊंट) – यह हमेशा तिरछा चलता है, चाहे कोई भी दिशा हो।
रानी (वजीर) – स्थान खाली होने पर यह कसी भी दिशा में चल सकता है।
हाथी – यह हमेशा सीधी दिशा में चलता है।
प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी बारी चलने का मौका बारी-बारी से दिया जाता है।
इस खेल का मुख्य लक्ष्य शह और मात देना होता है।
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