Hindi, asked by 23804, 11 days ago

शद्बर्थ लिखत सुभाषि
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Answered by raginikumari37316
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Answer:

  • गुणवान् व्यक्तियों में गुण गुण (ही) होते हैं (तथा) वे (अर्थात् गुण) गुणहीन (व्यक्ति) को प्राप्त करके दोष बन जाते हैं। (जिस प्रकार) नदियाँ स्वादिष्ट जल से युक्त ही (पर्वत से) निकलती हैं, (परंतु) समुद्र में पहुँच कर (वे) पीने योग्य नहीं होती हैं। साक्षात्पशुःपुच्छविषाणहीनः। तद्भागधेयं परमं पशूनाम्॥
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