shiksha aur pariksha Hindi essay 150words
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शिक्षा का अर्थ केवल किताबी पढ़ाई ही नहीं, अन्य अनेक प्रकार के अनेकविध शिक्षण-परीक्षण भी हैं। प्राचीन काल से धनुर्विद्या या युद्ध-विद्या की शिक्षा दी जाती थी और उसकी परीक्षा भी ली जाती थी। आज भी ऐसा होता है। जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी अनेक प्रकार की शिक्षांए दी और परीक्षांए ली जाती हैं।
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शिक्षा
शिक्षा शब्द संस्कृत के 'शिक्षक' धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, सिखाना या सिखाना। अर्थात जो प्रकिया द्वारा अध्ययन और अध्यापन होता है, उसे शिक्षा कहते हैं।
गीता से अनुसार, “सा विद्या विमुक्ते”। अर्थात शिक्षा या विद्या वही है जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारा हर पहलु पर विस्तार करे।
टैगोर के अनुसार, “हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित, परीक्षा पास करने के संकीर्ण मक़सद से प्रेरित, यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है। इसके कारण हमें नियमों, परिभाषाओं, तथ्यों और विचारों को बचपन से रटना की दिशा में धकेल दिया है। यह न तो हमें वक़्त देती है और न ही प्रेरित करती है ताकि हम ठहरकर सोच सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें।”
महात्मा गांधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कि उनके मुताबिक़ शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”
अरस्तु के अनुसार, “शिक्षा मनुष्य की शक्तियों का विकास करती है, विशेष रूप से मानसिक शक्तियों का विकास करती है ताकि वह परम सत्य, शिव एवम सुंदर का चिंतन करने योग्य बन सके।”
परीक्षा
अगर आप पूरी बुद्धि और ज्ञान प्राप्त करके एक्सपीरियंस के साथ आगे बढ़ते हो तो आप अचानक से आने वाली परीक्षाओं में भी सफल हो सकते हो । परीक्षा का यह मतलब नहीं है कि कौन सफल होता है और कौन असफल। ... जब वह बच्चा सफल इंसान बन जाता है तब जाकर मां बाप कि उस परीक्षा में जीत हो जाती है ।