Hindi, asked by tikky, 1 year ago

"shiksha ka arth ratkar ank lana nahi , asal chiz hai apne vyavahar mein parivartan"
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Answered by tejasmba
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लेख लिखें ‘शिक्षा का अर्थ रटकर अंक लेना नहीं, असल चीज़ है अपने व्यवहार में परिवर्तन’

शिक्षा

छोटे बच्चे असहाय तथा असामाजिक होते हैं। परन्तु जैसे-जैसे वह बड़े होते जाते है वैसे-वैसे उन पर शिक्षा के औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों का प्रभाव पड़ता है| इस प्रभाव के कारण उनमें जहाँ एक ओर शारीरिक, मानसिक तथा संवेदनात्मक विकास होता जाता है वहीं दूसरी ओर उनमें सामाजिक भावनाएं भी विकसित होती जाते हैं| इस प्रकार हम देखते हैं कि बच्चों के व्यवहार में वांछनीय परिवर्तन करने के लिए व्यवस्थित शिक्षा की परम आवश्यकता है| संक्षेप में, शिक्षा वह प्रकाश है जिसके द्वारा बच्चों की समस्त शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा अध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है| इससे वह समाज का एक उत्तरदायी घटक एवं राष्ट्र का प्रखर चरित्र-संपन्न नागरिक बनकर समाज की सर्वांगीण उन्नति में अपनी शक्ति का सही प्रयोग करने की भावना से ओतप्रोत होकर संस्कृति तथा सभ्यता को पुनर्जीवित एवं पुनः स्थापित करने के लिए प्रेरित हो जाता है। अधिकतर हम स्कूली शिक्षा को ही शिक्षा कहते हैं। रटकर परीक्षा पास कर लेने से और अच्छी डिग्रियां प्राप्त करने से और अच्छी नौकरी कर लेने से क्या सही में मनुष्य का विकास होता हैं? नही। ऐसी शिक्षा प्राप्त करे की आप अपने व्यवहार में परिवर्तन ला सके।

समाज के विकास के लिए ऐसी शिक्षा ले, जिसके द्वारा समाज के भावी पीढ़ी के बच्चे उच्च आदर्शों, आशाओं, आकांक्षाओं, विश्वास तथा परम्पराओं आदि सांस्कृतिक संपत्ती को इस प्रकार से हस्तांतरित करे ताकि उनके ह्रदय में देश-प्रेम तथा त्याग की भावना प्रज्वलित हो जाएं | जब ऐसी भावनाओं तथा आदर्शों से भरे हुए बालक तैयार होकर समाज अथवा देश की सेवा का व्रत धारण करेंगे तो इस प्रकार व्यक्ति तथा समाज दोनों ही के विकास होगा|


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