Hindi, asked by khushi22346, 5 days ago

shiksha ka Nijikaran nibandh​

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Answered by rohitchoudhary8469
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Answer:

शिक्षा का निजीकरण भविष्य में लाभ और निहित आर्थिक लाभों को लाती है। श्रेष्ठ स्कूलों में अत्याधिक शुल्क लिया जाता है जो सामान्य भारतीय की सामर्थ्य से बाहर है। ये समर्थ और असमर्थ लोगों के बीच एक खाई उत्पन्न करती है। शिक्षा के निजीकरण ने समाज के उच्च वर्गों के स्वार्थ के लिए अमीरों और गरीबों के बीच विषमता को बढ़ाने का काम किया है।

निजी क्षेत्र तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराने में भी रूचि लेता हुआ जान पड़ता है। इनमें से कुछ संस्थान विभिन्न मदों पर छात्रों से लाखों रूपये लेकर भी उन्हें बुनियादी सुविधाएँ नहीं दे पाते है। यह शिक्षा के निजीकरण के मूल उद्देश्य की उपेक्षा करता है।

3. यदि नीजी क्षेत्र प्राथमिक/ उच्च विद्यालय शिक्षा में संलग्न है तो उनमें से अधिकांश संस्थानों में मुख्यतः सरकारी निधि या सहायता प्राप्त संस्थानों में अनुदान से प्राप्त धन को अक्सर, दूसरे नाम पर खर्च करके स्थिति को बदतर बना दिया जाता है।

इस तरह के संस्थानों के शिक्षकों को शायद ही कभी पूरा वेतन दिया जाता है जबकि उन्हें सरकारी वर्ग के समान पूर्ण रकम की प्राप्ति की रसीद देनी होती है और उनके कार्यकाल की कोई गारंटी नही होती है। ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों को छोड़कर शेष निजी स्कूलों के शिक्षकों को अनुबंध के आधार पर रूपए दिए जाते हैं।

5. अध्यापन से जुड़े लोगों को बढ़िया भुगतान और उचित देखभाल नहीं की जाती है, इसलिए दीर्घकाल में इसकी क्षति शिक्षा को भुगतनी पड़ती है।

शिक्षा के निजीकरण के गुण और दोष दोनों है। यदि यह नियंत्रित नहीं हैं तो इसके दोष सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति को पंगु बना सकते हैं। फिर भी, शिक्षा के परिदृश्य से निजी क्षेत्रों को बाहर रखना संभव नहीं हैं क्योंकि सरकारी निधि शिक्षा को सर्वव्यापक बनाने के आदर्श को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं देश के बहुत से क्षेत्रों में शिक्षा के लिए आधारभूत सुविधाएँ तक नहीं हैं। इस प्रकार निजी क्षेत्र की शिक्षा में संलग्नता आवश्यकता बन गई है।

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