Hindi, asked by arpithijaincy, 1 year ago

Shiksha ratant vidya nahi hai niband in hindi

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Answered by ishaagrawal
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शिक्षा रटंत विद्या नहीं है 

शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो जन्म लेने के साथ ही शुरू हो जाती है | जब हम स्कूल जाने लगते हैं तब नयी किताबें हमें आकर्षित करती हैं पर जल्द ही यह विद्या बोझ लगने लगती है | हम पर पढाई और परीक्षाओं का भार आ जाता है | सारा ध्यान इसी पर रहता है की हम परीक्षा में कितने अंक लाते हैं | तब शुरू हो जाता है प्रतिस्पर्धा का सिलसिला | हम भूल जाते हैं की स्कूल सिखने का स्थान है न की अंक लाने के लिए जंग का मैदान | 
पास होने के लिए हम पाठ को रटते हैं | कैसे भी बस याद हो जाए और हम परीक्षा में सवालों के सही जवाब दे सकें | बस रटने से हम परीक्षा जरुर पास हो जाएंगे पर उन किताबों में छुपा ज्ञान और सारी सिखने वाली बातें कहाँ तक याद रहती हैं ? आगे चलकर हम रटने पर निर्भर हो जाएंगे पर जो सीखने के लिए स्कूल में दाखिला लिया था वो वजह तो कहीं गुम हो जाएगी | अगर समझ कर पढेंगे तो आसानी से किसी भी सवाल का उत्तर दे पाएंगे और यही नहीं दूसरों को भी समझा सकेंगे | रटने से यह होता है की क्रम में हम चीजों को रत जाते हैं पर ऐसे लोग परीक्षा में फसते हैं जब उन्हें क्रम में से कुछ याद न हो | अचानक घबरा जाने से हम आगे की याद की हुई जवाब भूल जाते हैं और प्रश्न छूट जाता है |

पढने से भागने की बजाय उसे सीखने का जरिया समझेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा | शिक्षक भी बस किसी तरह पाठ पूरा करने की बजाये बच्चों को सिखाने पर ज्यादा जोर देंगे और रटने की आदत को बढ़ावा नहीं देंगे तो सही रहेगा | पढाई को प्रतिस्पर्धा हम सब मिलकर बना देते हैं | चाहे वो अभिभावक हों जिन्हें बस नंबर लाने से मतलब होता है, या शिक्षक जो दूसरे क्लास से आगे निकलने के लिए बच्चों को पास होने की हिदायत देते रहते हैं या खुद बच्चे जो बस दूसरों के आगे डींगे हांकना चाहते हैं | समझकर पढने वालों की खिल्ली उडाना आजकल के बच्चों का फैशन बन गया है | समझकर पढ़ना उन्हें शर्मिंदा करता है, दूसरों के सामने पढ़ाकू बनना शर्म की बात होती है | ऐसी मानसिकता ने आज की शिक्षा को बर्बाद कर दिया है | गर्व तो होना चाहिए की हम तोते नहीं इन्सान ही हैं |

जानवर और इंसान में अपार बुद्धि का ही फर्क होता है | समझकर अगर हम आगे चलेंगे तो उस उचाई को पायेंगे जो सिर्फ विदेशों के बच्चों को देखते हैं और उनके जैसा बनने के सपने देखते हैं | यह नहीं सोचते की वो भी हमारी तरह ही इंसान हैं जो स्चूलों में पढ़ते हैं और सही मायने में विद्या ग्रहण करते हैं |
Answered by RIYAAHLAWAT
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Answer:

शिक्षा मनुष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा मनुष्य को सभ्य और विद्वान  बनाती है। शिक्षा ही वह माध्यम है, जो मनुष्य को जीविका के साधन देती है और  आत्मनिर्भर बनाती है। शिक्षित व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ाने में शिक्षा का  बहुत योगदान है। बाल्यकाल से ही अच्छी शिक्षा के लिए माता-पिता द्वारा प्रयास  आरंभ हो जाते हैं। वे अपने बच्चे के भावी सुनहरे भविष्य के लिए उसे उच्च  विद्यालयों में दाखिला दिलाने का प्रयास करते हैं।

प्राचीन समय में माता-पिता अपने बच्चों को आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने भेजा  करते थे। वे घरों से दूर वनों में बने आश्रमों में विद्या अध्ययन करते थे। इस  तरह की विद्या प्राप्ति में गुरू के निकट रहकर वे शांत और दृढ़ मन से शिक्षा  अध्ययन करते थे। उस समय शिक्षा का स्तर भी बहुत ही उत्तम हुआ करता था। गुरू के  समीप रहने के कारण वे भली-भांति अध्ययन किया करते थे। उनका पूरा ध्यान शिक्षा  ग्रहण करने में ही लगता था। आगे चलकर वे विद्वान या वीर हुआ करते थे। अर्जुन,  चाणक्य आदि ऐसे ही महान योद्धा और विद्वान थे। परन्तु आज समय बदल रहा है।  शिक्षा प्रणाली में भी बदलाव हुआ है।

आज बच्चे अपने घर के समीप बने किसी विख्यात विद्यालय में जाकर शिक्षा ग्रहण  करते हैं। उन्हें विद्यालय में जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसे घर पर रहकर अध्ययन  करने के लिए कहा जाता है। एक शिक्षक बच्चे से यही आशा करते हैं कि उनका  विद्यार्थी उनके पढ़ाए पाठ को घर में जाकर अध्ययन करे। परन्तु ऐसा नहीं होता।  बच्चे पाठ का घर जाकर अध्ययन नहीं करते हैं। वे घर जाकर अपना अधिकतर समय  खेलकूद और कंप्यूटर में व्यतीत कर देते हैं। परीक्षा समय आने पर वह गुरू  द्वारा कराए गए पाठों को रटना आरंभ कर देते हैं। स्थिति तब गंभीर हो जाती है  जब रटा हुआ, सब उन्हें भूल जाता है। वे उन्हें तोते की तरह रटा हुआ होता है।  यदि प्रश्न में जरा-सा फेरबदल होता है, तो उनकी आँखों तले अंधेरा छा जाता है।  परिणाम अनुत्तीर्ण या कम अंक प्राप्त होना।

रटना शिक्षा नहीं है, ये तो शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति है। जो विद्यार्थी सच  में शिक्षा ग्रहण करने का इच्छुक होता है, वह अपनी शिक्षा को गंभीरता से लेता  है। अध्यापकों द्वारा पढ़ाए गए पाठ को विद्यालय से आकर घर पर पढ़ता है। यदि एक  पाठ को भली-भांति पढ़ा

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