shirshak ki sarthakta sandeh sahitya sagar
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यह मनोविज्ञान पर आधारित एक कहानी है। यहां मनुष्य को मनोवैज्ञान के आधार पर चित्रित किया गया है।
यहां पर सब एक दूसरे पर संदेह करते हैं इसलिए कहानी का नाम संदेह रख दिया गया है।
मनोरमा और मोहन बाबू के बीज का संदेह काफी कलेह करता है।
शुरू से लेकर अंत तक में कहानी संदेह में ही घूमती है।
इसलिए संदेह शीर्षक काफी सार्थक है
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take it bro
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hope this will help you
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