shishya ne darte hue bismilla khan se kya kaha ? khan sahab ne use kaise samjhaya
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शिष्या ने बिस्मिल्ला खाँ को फटी और पैबंद लगी हुई लुंगी पहने हुए देखकर डरते-डरते कहा कि आपकी इतनी प्रतिष्ठा है | अब तो आपको भारत रत्न भी मिल चुका है | आप फटी लुंगी न पहने | अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी लुंगी में उससे मिलते हैं। यह आप क्या करते हैं। शिष्या के ऐसा कहने पर उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ ने उसे समझाते हुए कहा की ठीक है आगे से नहीं पहनेंगे, किन्तु तुम लोगों की तरह बनाव सिंगार में लगे रहे तो उमर ही बीत जाती और हो चुकी शहनाई, तब क्या खाक रियाज़ हो पाता | लुंगियां तो सिल सकती है पर खुदा फटा सुर न बख्शे क्योंकि सुर यदि फट गया तो फिर सही नहीं हो सकता | यही दुआ वे खुदा से मांगते थे|
शिष्या ने डरते हुए विस्मिल्लाह खान से क्या कहा? खान साहब ने उसे कैसे समझाया?
शिष्या ने डरते हुए बिस्मिल्लाह खान से कहा कि आपकी इतनी प्रतिष्ठा है। आप को भारत रत्न जैसा सम्मान भी मिल चुका है, फिर भी आप फटी हुई और पैबंद लगी हुई लुंगी पहने हैं। आप इस तरह की फटी लुंगी ना पहना करें। अच्छा नहीं लगता जब कोई आता है और आपको फटी लुंगी में देखता है।
शिष्या के ऐसा कहने पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने उसे समझाते हुए कहा कि चलो ठीक है, आगे से ऐसी लुंगी नहीं पहनेंगे लेकिन तुम्हारी तरह अगर हम भी यूँ ही बनाव-सिंगार में लगे रहते तो हमारी उम्र बनाव-सिंगार ने ही बीत जाती है। तब हम क्या खाक रियाज़ कर पाते।
लुंगी फट जाये तो सिली जा सकती है, यदि एक बार सुर एक बा फट जाए तो फिर वह सही नहीं किया जा सकता। इसीलिए वे लुंगी कैसी हो उस पर ध्यान नहीं देते। केवल अपने संगीत और सुर पर ध्यान देते हैं।
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