shivanand goswami se sambandhit chizon ke naam batao
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१५५३ में रची अपनी कृति 'शिवार्चन-चन्द्रिका', 'सौभाग्यरत्नाकर', 'चंडी-समयानुक्रम', 'श्रीनिवास चम्पू', 'त्रिपुरसुन्दरी पद्धति', 'सौभाग्य-सुधोदय', 'श्रीचंडिकायजन', श्री जगन्निवास भट्ट ने 'त्रिपुर-सुन्दरी' और 'शिवार्चान्चंद्रिका सूची', तथा चक्रपाणि गोस्वामी ने 'पंचायतन-प्रकाश' के माध्यम से दर्शन, साहित्य, आयुर्वेद, ...
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शिवानन्द गोस्वामी | शिरोमणि भट्ट (अनुमानित काल : संवत् १७१०-१७९७) तंत्र-मंत्र, साहित्य, काव्यशास्त्र, आयुर्वेद, सम्प्रदाय-ज्ञान, वेद-वेदांग, कर्मकांड, धर्मशास्त्र, खगोलशास्त्र-ज्योतिष, होरा शास्त्र, व्याकरण आदि अनेक विषयों के जाने-माने विद्वान थे। इनके पूर्वज मूलतः कांचीपुरमतमिलनाडू के तेलगूभाषी उच्चकुलीन पंचद्रविड़ वेल्लनाडू ब्राह्मण थे, जो उत्तर भारतीय राजा-महाराजाओं के आग्रह और निमंत्रण पर राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य प्रान्तों में आ कर कुलगुरु, राजगुरु, धर्मपीठ निर्देशक, आदि पदों पर आसीन हुए|शिवानन्द गोस्वामी त्रिपुर-सुन्दरी के अनन्य साधक और शक्ति-उपासक थे। एक चमत्कारिक मान्त्रिक और तांत्रिक के रूप में उनकी साधना और सिद्धियों की अनेक घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। श्रीमद्भागवत के बाद सबसे विपुल ग्रन्थ सिंह-सिद्धांत-सिन्धु लिखने का श्रेय शिवानंद गोस्वामी को है।"