shlok in sanskrit on air?
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पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढ़ः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।।20।।
पृथ्वी पर जल, अन्न और मधुर वचन यह तीन ही रत्न हैं, जबकि मूर्ख जन पत्थर के टुकड़ों को रत्न कहते हैं।
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यथाऽऽकाशस्थितो नित्यं वायुः सर्वत्रगो महान् ।
तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय ।।
From श्रीमद् भगवद्गीता
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