shlok in sanskrit on shelter life
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shlok in sanskrit on shelter life with translation
संस्कृत में श्लोक इस प्रकार है :
नीर-क्षीर-विवेके हंसालस्य त्वमेव तनुषे चेत् ।
विश्वस्मिन्नधुनान्यः कुलव्रतं पालयिष्यति कः ।।
संस्कृत श्लोक का अर्थ है:
प्रस्तुत श्लोक में हंस के माध्यम से लोगों को अपने कर्तव्य के प्रति आलस्य न करने के लिए कहा गया है|
हे हंस यदि तुम दूध और पानी को अलग करने में आलस्य करोगे तो इस संसार में दूसरा कोन अपने कुल की मरियादा करेगा | यदि तुम ही गुण और दोषों को समझने में आलस्य करोगे और उचित अनुचित का निर्णय नहीं करोगे तो इस संसार में दूसरा कोन अपने कुलव्रत का पालन करेगा | अर्थ यह है की लोगों को अपने उचित-अनुचित का विवेक का पालन करने में कोई आलस्य नहीं करना चाहिए|
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत् ।।
संस्कृत श्लोक का अर्थ है:
"सभी सुखी हो, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।"
कहने का अर्थ है की सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी को शुभ दर्शन हों और कोई दु:ख से ग्रसित न हो।
आज के समय में हर कोई परेशान है, हर किसी को कोई न कोई तकलीफ है , बहुत से लोग दुखी हैं , ऐसे में आइये मिलकर सब के कल्याण के लिए ईश्वर से इस श्लोक को कहकर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है| इस दुनिया में सब को खुश रखे और किसी को किसी प्रकार का दुःख न मिले |