shlok on bhojan in sanskrit
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काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।
भावार्थ: इस श्लोक के माध्यम से विद्यार्थियों को 8 चीजों से बचने के लिए कहा गया है। काम, क्रोध, स्वाद, लोभ, शृंगार, मनोरंजन, अधिक भोजन और नींद सभी को त्यागना जरूरी है।
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।
भावार्थ: विद्या से विनय अर्थात विवेक व नम्रता मिलती है, विनय से मनुष्य को पात्रता मिलती है यानी पद की योग्यता मिलती है। वहीं, पात्रता व्यक्ति को धन देती है। धन फिर धर्म की ओर व्यक्ति को बढ़ाता और धर्म से सुख मिलता है। इस मतलब यह हुआ कि जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए विद्या ही मूल आधार है।
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काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।
अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।
भावार्थ: इस श्लोक के माध्यम से विद्यार्थियों को 8 चीजों से बचने के लिए कहा गया है। काम, क्रोध, स्वाद, लोभ, शृंगार, मनोरंजन, अधिक भोजन और नींद सभी को त्यागना जरूरी है।
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।
भावार्थ: विद्या से विनय अर्थात विवेक व नम्रता मिलती है, विनय से मनुष्य को पात्रता मिलती है यानी पद की योग्यता मिलती है। वहीं, पात्रता व्यक्ति को धन देती है। धन फिर धर्म की ओर व्यक्ति को बढ़ाता और धर्म से सुख मिलता है। इस मतलब यह हुआ कि जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए विद्या ही मूल आधार है।
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